रायपुर:बालकृष्ण दोशी का जन्म 26 अगस्त 1927 को पुणे में हुआ था. उन्होंने अपने करियर की शुरुआत स्विस-फ्रांसीसी वास्तुकार, डिजाइनर, शहरी योजनाकार और चंडीगढ़ के लिए मास्टर प्लान तैयार करने वाले अग्रणी वास्तुकार ले कॉर्बुसियर के सहायक के रूप में की थी. उन्होंने प्रसिद्ध वास्तुकार लुइस कान के साथ भी काम किया.
भारत की कुछ सबसे प्रतिष्ठित इमारतों में बीवी दोशी की वास्तुकला: मास्टर आर्किटेक्ट बालकृष्ण विठ्ठलदास दोशी की वास्तुकला भारत की कुछ सबसे प्रतिष्ठित इमारतों में देखी जा सकती है. इनमें बेंगलुरु और उदयपुर में भारतीय प्रबंधन संस्थान, दिल्ली में राष्ट्रीय फैशन प्रौद्योगिकी संस्थान, पर्यावरण योजना और प्रौद्योगिकी केंद्र शामिल हैं. वहीं टैगोर मेमोरियल हॉल, इंडोलॉजी संस्थान और प्रेमाभाई हॉल भी शामिल हैं. मास्टर आर्किटेक्ट बालकृष्ण विठ्ठलदास दोशी की प्रमुख परियोजनाएं 1958 में अतीरा गेस्ट हाउस, 1966 में सीईपीटी विश्वविद्यालय और 1994 में अमदवाद नी गुफा आर्ट गैलरी भी हैं.
बालकृष्ण दोशी ने 1955 में अपने स्टूडियो, वास्तु शिल्प कंसल्टेंट्स की स्थापना की. उन्होंने भारत में स्वदेशी डिजाइन और योजना मानकों को विकसित करने में मदद करने के लिए वास्तु शिल्प फाउंडेशन की स्थापना की थी.
बालकृष्ण दोशी को मिले ये सम्मान: इंदौर में अरण्य लो कॉस्ट हाउसिंग प्रोजेक्ट के लिए उनके डिजाइन को आर्किटेक्चर के लिए आगा खान अवार्ड से सम्मानित किया गया. 2018 में वास्तुकला के सर्वोच्च सम्मान Pritzker Prize प्राप्त करने वाले पहले भारतीय वास्तुकार बने. दोशी की शैली 20वीं सदी के वास्तुशिल्प महापुरूषों ले कोर्बुसीयर और लुइस खान से प्रभावित है. 2022 में उन्हें रॉयल इंस्टीट्यूट ऑफ ब्रिटिश आर्किटेक्ट्स के रॉयल गोल्ड मेडल से सम्मानित किया गया. उन्हें पद्म श्री और पद्म भूषण भी मिल चुका है.
भारत के पहले आर्किटेक्ट बालकृष्ण दोशी ने सात दशकों के करियर में 100 से ज्यादा प्रोजेक्ट को पूरा किया. इनमें से कई सार्वजनिक संस्थान थे जैसे स्कूल, पुस्तकालय, कला केंद्र और कम लागत वाले आवास. भारत की परंपराओं, जीवन शैली और पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए बिल्डिंग तैयार की.