रायपुर: मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने 20 अगस्त से केंद्र की मोदी सरकार की जन विरोधी और कारपोरेट परस्त नीतियों के खिलाफ देशभर में आंदोलन की शुरुआत कर दी है. यह आंदोलन 20 अगस्त से लेकर 26 अगस्त तक चलेगा. माकपा के 16 सूत्रीय मांगों में इस सप्ताह व्यापी आंदोलन में कोरोना प्रोटोकॉल और फिजिकल डिस्टेंसिंग को ध्यान में रखा गया है.
छत्तीसगढ़ में विभिन्न स्तरों पर धरना प्रदर्शन आयोजित किया जा रहा है. इसके साथ ही राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा जाएगा. माकपा को आंदोलन के लिए किसान सभा, आदिवासी एकता महासभा, जनवादी महिला समिति, जनवादी नौजवान सभा और SFI से समर्थन मिला है. माकपा राज्य सचिव संजय पराते ने कहा कि इस अभियान में अन्तर्राज्यीय प्रवासी मजदूर (कानून 1979) को खत्म करने का प्रस्ताव वापस लेने और इसे मजबूत बनाने की मांग की गई है.
जनता के सामने आजीविका की खड़ी हो गई समस्या
साथ ही उन्होंंने कहा कि कोरोना वायरस से निपटने के लिए पीएम केयर फंड में जमा राशि को तमाम राज्यों में वितरित करने, कोरोना महामारी से मरने वाले परिवारों को राष्ट्रीय आपदा कोष के प्रावधानों के अनुसार एक आर्थिक मदद देने की मांग है. उन्होंने कहा कि कोरोना संकट के दौर में जिस तरह से तमाम नीतियों को देश की जनता पर लादा जा रहा है. उसी का नतीजा है कि जनता के सामने अपनी आजीविका की समस्या खड़ी हो गई है.
लोकतांत्रिक अधिकारों की हिफाजत की उठाई जा रही मांग: संजय पराते
संजय पराते ने कहा कि देश की जीडीपी में 11 प्रतिशत से ज्यादा गिरावट होने की अनुमान लगाया है. इसके स्पष्ट कारण है कि एक लंबे समय से देश आर्थिक मंदी में फस गया है. इस मंदी से निकलने का एकमात्र रास्ता यही है कि आम जनता की जेब में पैसे डाला जाए. मुफ्त खाद्यान्न उपलब्ध करवाकर उसकी क्रय शक्ति बढ़ाई जाए, ताकि बाजार में मांग पैदा हो. उद्योग धंधों को गति मिले. संजय पराते ने कहा कि यही कारण है कि देशव्यापी इस अभियान में आम जनता की रोजी-रोटी और उसके लोकतांत्रिक अधिकारों की हिफाजत की मांग उठाई जा रही है.