रायपुर: कोरोना संकट ने पूरी दुनिया की तस्वीर बदल डाली. कई क्षेत्र इससे प्रभावित रहे. छत्तीसगढ़ में भी व्यापार, कारोबार, उद्योग सब ठप रहा. मजदूर अपने घरों को लौट गए. करीब 80 दिनों के लॉकडाउन ने लोगों के जीवन को बदल कर रख दिया. कोरोना संक्रमण के मद्देनजर किए गए लॉकडाउन की वजह से मजदूर वर्ग तो परेशान था ही, लेकिन किसानों को भी इसका खामियाजा भुगतना पड़ा. अब जब मजदूर अपने घर लौटे तो वे खेती-किसानी का रूख करने लगे. खेती किसानी का सीजन शुरू होने को है. इससे पहले ही ETV भारत ने खाद-बीज जैसी जरूरी चीजों में भी लॉकडाउन का असर पड़ने को लेकर पड़ताल की है.
कोरोना वायरस के संक्रमण ने न केवल लोगों के जीवन को बदल कर रख दिया है, बल्कि तमाम तरह की जरूरी सेवाओं में भी दखल डालना शुरू कर दिया. ऐसे में अब खेती-किसानी के लिए भी मजदूर मिलना मुश्किल हो रहा है. अब आने वाले खरीफ सीजन के लिए खाद बीज की एक बड़ी समस्या आ रही है. खरीफ सीजन के लिए जून का महीना लगते ही तैयारियां शुरू हो जाती है. बड़े पैमाने पर अब खेती-किसानी के लिए मजदूरों के साथ ही खाद-बीज की जरूरत होती है.
कृषि प्रधान है छत्तीसगढ़
छत्तीसगढ़ में बड़े पैमाने पर लोग खेती-किसानी पर ही निर्भर हैं. ऐसे में बीज और खाद की कमी होने का असर सीधे तौर पर लोगों के जीवन पर पड़ सकता है. इसे लेकर ETV भारत ने सहकारी समितियों में पड़ताल की. सहकारी समिति के पदाधिकारियों का कहना है कि छत्तीसगढ़ में आने वाले समय में खाद-बीज की बड़ी समस्या आ सकती है, क्योंकि छत्तीसगढ़ में ज्यादातर खाद और बीज गुजरात और महाराष्ट्र से सप्लाई होते हैं. दोनों राज्यों में कोरोना के चलते बेहद बुरे हालात हैं. मजदूर नहीं होने की वजह से प्लांट बंद पड़े हैं. ऐसे में सप्लाई भी बाधित हो रही है. छत्तीसगढ़ में पूरी अर्थव्यवस्था की रीढ़ खेती किसानी ही है. यहां कृषि में भी खरीफ की फसल मुख्य फसल मानी जाती है.