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Mangala gauri vrat 2022: मंगला गौरी व्रत पर इस तरह करें मां का पूजन

सावन के महीने में शुरू होने वाले मंगला गौरी व्रत कुंवारी लड़कियों व शादीशुदा महिलाओं के लिए काफी शुभ होता(Worship mother like this on Mangala Gauri fast ) है. इस साल मंगला गौरी का व्रत सावन महीने के पहला मंगलवार यानी 19 जुलाई को पड़ रहा है.

Mangala gauri vrat 2022
मंगला गौरी व्रत

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Published : Jul 16, 2022, 2:00 PM IST

रायपुर: 14 जुलाई 2022 से शिव जी का प्रिय सावन मास शुरू हो गया है. श्रावण का पहला मंगला गौरी व्रत (mangala gauri vrat 2022) 19 जुलाई को मनाया जाने वाला है. धार्मिक शास्त्रों के अनुसार सावन में आने वाले सभी मंगलवार को सुहागिन महिलाएं मंगला गौरी माता का व्रत रखती (Worship mother like this on Mangala Gauri fast ) है.

भगवान शिवशंकर को प्रिय सावन मास में आने वाला यह व्रत सुख सौभाग्य से जुड़ा होने के कारण इसे सुहागिन महिलाएं करती हैं. मंगला गौरी व्रत विशेष तौर पर राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, पंजाब, बिहार, हिमाचल प्रदेश में अधिक प्रचलित है. ऐसे में सावन के दौरान पड़ने वाले मंगलवार का दिन देवी पार्वती यानी गौरी को अत्‍यंत प्रिय होने कारण ही इस दिन माता गौरी का पूजन किया जाता है और इसे मंगला गौरी व्रत कहा जाता है. कहा जाता है इस व्रत या उपवास को करने का उद्देश्य अखंड सुहाग की प्राप्ति और संतान के सुखी जीवन की कामना करना है. हर साल की तरह इस वर्ष भी इस व्रत में माता पार्वती के गौरी रूप का पूजन किया जाएगा.

मंगला गौरी व्रत की तिथियां :

  • पहला मंगलवार-19 जुलाई 2022
  • दूसरा मंगलवार-26 जुलाई 2022
  • तीसरा मंगलवार-2 अगस्त 2022
  • चौथा मंगलवार-9 अगस्त 2022

पूजा विधि: मंगला गौरी व्रत के दौरान आने वाले हर मंगलवार को ब्रह्म मुहूर्त में जल्दी उठें. उसके बाद नित्य कर्मों से निवृत्त होकर साफ सुथरे या फिर नए कपड़े पहनकर व्रत करना चाहिए. मां मंगला गौरी (पार्वती जी) का एक चित्र अथवा प्रतिमा लें. इसके बाद 'मम पुत्रापौत्रासौभाग्यवृद्धये श्रीमंगलागौरीप्रीत्यर्थं पंचवर्षपर्यन्तं मंगलागौरीव्रतमहं करिष्ये.' इस मंत्र के साथ व्रत करने का संकल्प लें. अर्थात्- मैं अपने पति, पुत्र-पौत्रों, उनकी सौभाग्य वृद्धि और मंगला गौरी की कृपा प्राप्ति के लिए इस व्रत को करने का संकल्प लेती हूं. इसके बाद मंगला गौरी के चित्र या प्रतिमा को एक चौकी पर सफेद फिर लाल वस्त्र बिछाकर स्थापित किया जाता है.प्रतिमा के सामने एक घी का दीपक (आटे से बनाया हुआ) जलाएं. दीपक ऐसा हो जिसमें 16 बत्तियां लगाई जा सकें. अब 'कुंकुमागुरुलिप्तांगा सर्वाभरणभूषिताम्. नीलकण्ठप्रियां गौरीं वन्देहं मंगलाह्वयाम्..'यह मंत्र बोलते हुए माता मंगला गौरी का षोडशोपचार पूजन करें.

ये सारी वस्तुएं चढ़ाएं: इसके बाद उनको (सभी वस्तुएं 16 की संख्या में होनी चाहिए) 16 मालाएं, लौंग, सुपारी, इलायची, फल, पान, लड्डू, सुहाग की सामग्री, 16 चूड़ियां और मिठाई अर्पण करें. इसके अलावा 5 प्रकार के सूखे मेवे, 7 प्रकार के अनाज-धान्य (जिसमें गेहूं, उड़द, मूंग, चना, जौ, चावल और मसूर) आदि चढ़ाएं. ध्यान रहे इस व्रत में एक ही समय अन्न ग्रहण करके पूरे दिन मां पार्वती की आराधना की जाती है. शिवप्रिया पार्वती को प्रसन्न करने वाला यह सरल व्रत करने वालों को अखंड सुहाग और पुत्र प्राप्ति का सुख मिलता है. पूजन के बाद मंगला गौरी की आरती करें और कथा सुनें.

Disclaimer: ये सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारी पर आधारित है. etvbharat.com किसी भी तरह की मान्यता या जानकारी की पुष्टि नहीं करता है.

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