छत्तीसगढ़

chhattisgarh

ETV Bharat / state

SPECIAL: कोरोना संकट से सुपोषण अभियान को झटका, 20 हजार से ज्यादा बच्चे कुपोषित - छत्तीसगढ़ में कुपोषण

लॉकडाउन का खासा असर आंगनबाड़ी केंद्रों पर भी पड़ा है. केंद्र बंद होने की वजह से बच्चों को सुपोषित आहार नहीं मिल पा रहा है. स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी घर-घर जाकर राशन पहुंचाने की बात कह रहे हैं.

malnutrition-campaign-of-state-government-failing
कुपोषण से जूझता जांजगीर-चांपा

By

Published : Oct 8, 2020, 11:32 AM IST

Updated : Oct 8, 2020, 2:13 PM IST

जांजगीर-चांपा: लॉकडाउन की वजह से जिले के 2200 से ज्यादा आंगनबाड़ी केंद्र बंद हैं. ऐसे में महिला एवं बाल विकास विभाग ने घरों तक सूखा राशन पहुंचाने की व्यवस्था की है, लेकिन ये तमाम चीजें केवल कागजों तक ही सीमित रह गई. नतीजन बच्चे कुपोषण का शिकार हो रहे हैं. आंगनबाड़ी केंद्र बंद होने की वजह से बच्चे दिनभर यहां-वहां घूम रहे हैं, दुकानों में बैठ रहे हैं या फिर अपने अभिभावकों के साथ काम कर रहे हैं. जिला प्रशासन के आंकड़ों के मुताबिक, पिछले साल जिले में 24 हजार कुपोषित बच्चे पाए गए थे, जिनमें से केवल 4 हजार बच्चे ही सुपोषित हो पाए हैं.

सुपोषण अभियान को झटका

छोटे बच्चे जो आंगनबाड़ी केंद्रों में जाते हैं, वो कोरोना की वजह से अब घरों में बैठे हैं. कोरोना संकट और लॉकडाउन की वजह से आंगनबाड़ी केंद्र बंद पड़े हैं. जिले में 2 हजार 2 सौ से ज्यादा आंगनबाड़ी केंद्र हैं, लेकिन केंद्रों के बंद होने का असर बच्चों पर दिख रहा है.

आंगनबाड़ी बंद होने से सुपोषण अभियान को झटका

बच्चों को कुपोषण से निजात दिलाने के लिए सरकार ने घरों तक सूखा राशन पहुंचाने की योजना बनाई थी, लेकिन ये सारी योजनाएं सिर्फ योजना बनकर ही रह गई है, क्योंकि जरूरतमंद परिवारों को सूखा राशन कम ही मिल पाता है. एक तरफ आंगनबाड़ी केंद्र बंद होने से पोषण आहार नहीं मिलता, वहीं दूसरी तरफ छोटे बच्चे गली-मोहल्लों में खेलते नजर आते हैं. इस स्थिति से बच्चों के पालक परेशान नजर आ रहे हैं.

दुकान में बैठा बच्चा

SPECIAL: भगवान भरोसे है मूर्तिकारों की रोजी-रोटी, गणेशोत्सव के बाद नवरात्र में भी नुकसान

नहीं मिल रहा सुपोषण अभियान का फायदा

विभागीय जानकारी के मुताबिक, महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से साल 2019 में वजन त्योहार मनाया गया था. इस दौरान 0 से 5 साल के बच्चों का तौल कराया गया था, इनमें से 24 हजार 396 बच्चे कुपोषित पाए गए थे. विभाग की ओर से कुपोषित बच्चों को सुपोषित करने के लिए लाखों रूपये खर्च किए गए, लेकिन इसके बाद भी इनमें से अब तक केवल 4 हजार 396 बच्चे सुपोषित हो पाए हैं और करीब 20 हजार 67 बच्चे अब भी कुपोषण की गिरफ्त में हैं.

काम करते बच्चे

अधिकारियों के दावे

ETV भारत ने महिला एवं बाल विकास अधिकारी प्रीति चखियार से बात की, तो उन्होंने हर जगह सूखा राशन भेजने और आंगनबाड़ी केंद्रों में गर्म भोजन तैयार करने का दावा किया. जिला महिला बाल विकास विभाग के आंकड़ों से साफ पता चलता है कि जिले में सुपोषण योजना का बच्चों को कितना फायदा मिला है. निश्चित रूप से कोरोना वायरस के फैलाव का असर सबसे ज्यादा छोटे बच्चों पर पड़ा है. जो न तो स्कूल या आंगनबाड़ी जा पा रहे हैं और न ही उन्हें पोषण आहार मिल पा रहा है.

मैदान में खेलते बच्चे
Last Updated : Oct 8, 2020, 2:13 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details