रायपुर/हैदराबाद : भगवान शिव की प्रसन्नता के लिए सनातन धर्मावलंबी महेश नवमी (Mahesh Navami 2022) की पूजा बड़े श्रद्धा और विश्वास के साथ करते हैं. विशेषकर माहेश्वरी समाज के लोग महेश नवमी का पर्व बड़ी धूमधाम से धूमधाम से मनाते हैं. हिन्दू पंचाग के अनुसार प्रतिवर्ष ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को 'महेश नवमी' का पर्व मनाया जाता है. इस दिन माहेश्वरी समाज के लोग भगवान शिव एवं पार्वती जी की विधिवत पूजा अर्चना करते हैं. मान्यता है कि महेश नवमी (Mahesh navami 9 june 2022) को ही भगवान भोलेनाथ के आशीर्वाद से माहेश्वरी समाज की उत्पत्ति हुई थी. ज्योतिषाचार्य डॉ. अमिताभ गौड़ ने बताया कि इस दिन भगवान शिव का अभिषेक (Lord shiva jalabhishek) किया जाता है तथा उन्हें गंगा जल, पुष्प तथा बेलपत्र आदि अर्पित किए जाते हैं. इस दिन शिवलिंग पर जल चढ़ाने एवं डमरू बजाने की भी परंपरा है.
महेश नवमी के दिन विधि-विधान से भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती की पूजा-अर्चना (Lord Shiva Parvati worship) की जाती है. इसके लिए सुबह स्नान करने के बाद घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें. रिद्धि-सिद्धी के दाता प्रथम पूज्य भगवान श्री गणेश का आह्वान करें. साथ ही भगवान शिव पार्वती का गंगा जल से अभिषेक करें. वहीं उसके बाद भगवान शिव और माता पार्वती को पुष्प अर्पित कर सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाएं. फिर आशीर्वाद लेकर व्रत का पारण करें, इससे मनोकामनाएं पूरी होती हैं. भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से सभी तरह के पापों से मुक्ति मिलती है, भक्त की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और मनोवांछित फल मिलता है.
ये भी पढ़ें:महादेव का अनोखा धाम, यहां लंकापति रावण ने भोलेनाथ को चढ़ाए थे अपने 9 सिर