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नदिया किनारे, किसके सहारे: यहां थोड़े सुकून के बाद कई सवाल छोड़ जाती है महानदी

सिरपुर पुरातात्विक नजरिए से बेहद महत्वपूर्ण स्थान है. यहां इस तरह खुदाई करना इतिहास के साथ छेड़छाड़ करना साबित हो सकता है लेकिन किसी को इसकी फिक्र नहीं. सिरपुर में भी रेत उत्खनन धड़ल्ले से जारी है.

नदिया किनारे, किसके सहारे

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Published : Jun 20, 2019, 7:24 PM IST

रायपुर: महानदी अपने यहां तक के सफर में मनुष्यों के हाथों छले जाने के बाद पहुंचती है ऐतिहासिक नगरी सिरपुर में. यहां इसकी चौड़ाई और बढ़ जाती है.

नदिया किनारे, किसके सहारे

सिरपुर पुरातात्विक नजरिए से बेहद महत्वपूर्ण स्थान है. यहां इस तरह खुदाई करना इतिहास के साथ छेड़छाड़ करना साबित हो सकता है लेकिन किसी को इसकी फिक्र नहीं. सिरपुर में भी रेत उत्खनन धड़ल्ले से जारी है. हालांकि सिरपुर में महानदी में कुछ पानी नजर आया इसे देखकर मन को थोड़ी राहत जरूर मिली स्थानीय लोगों ने बताया कि ये पानी पास के समोदा बांध से छोड़ा गया.

यहां कभी होता था अंतरराष्ट्रीय बंदरगाह
इतिहासकार बताते हैं कि सालों पहले महानदी पर बड़े-बड़े जहाज चला करते थे. सिरपुर में तो एक अंतरराष्ट्रीय बंदरगाह होने का भी दावा किया जाता है. अब सोचिए जिस नदी के जरिए मिश्र और रोम से कारोबार होता था, वो नदी बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रही है.

इसके गौरवशाली इतिहास को देखते हुए कह सकते हैं कि महानदी मानव द्वारा सबसे ज्यादा प्रताड़ित नदी है और खास बात ये है कि इसके संरक्षण के लिए सबसे कम आवाज सुनाई पड़ती है.

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