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Maa Mahamaya temple of Raipur: रायपुर के मां महामाया मंदिर में क्यों बांधी जाती है नारियल, जानिए वजह - महामाया मंदिर हैहयवंशीय राजाओं के शासनकाल

सनातन धर्म में लोग देवी मंदिरों में मन्नत और मनोकामना की पूर्ति के लिए चुनरी, धागा और नारियल भी बांधे जाते हैं. राजधानी रायपुर के सिद्ध पीठ मां महामाया मंदिर में मनोरथ नारियल बांधने की परंपरा भी वर्षों पुरानी है. लोग  देवी मां से खुशहाली, पुत्र प्राप्ति जैसे तमाम तरह की मनोकामना को लेकर मंदिर में देवी मां कि पूजा आराधना के बाद अपनी समस्याओं और पीड़ा को लेकर पहुंचते हैं.

Maa Mahamaya temple of Raipur
रायपुर के मां महामाया मंदिर

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Published : Feb 5, 2023, 11:21 AM IST

सिद्ध पीठ मां महामाया मंदिर में बांधी जाती है मनोरथ नारियल

रायपुर:राजधानी रायपुर के सिद्ध पीठ मां महामाया मंदिर के प्रति श्रद्धालुओं की आस्था असीम है. श्रद्धालु पूरी श्रद्धा भाव से पीला-लाल कपड़ा या जय माता दी लिखी हुई चुनरी में सूखे नारियल को बांध मनोकामना लेकर मां से प्रार्थना करते हैं. मंदिर के पुजारी बताते हैं कि "भक्तों की मनोकामना पूरी होने के बाद भक्त इस नारियल को देवी मां को अर्पित करते हैं या फिर नारियल को तोड़कर प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है."

मनोकामना पूरी करने नारियल बांधते हैं श्रद्धालु: राजधानी के सिद्ध पीठ मां महामाया मंदिर में दर्शन करने पहुंचे श्रद्धालु भावेश शुक्ला ने बताया कि "श्रद्धालु अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए देवी मां के मंदिर में एक निश्चित स्थान पर कपड़े या फिर चुनरी में नारियल को बांधकर चले जाते हैं. मनोकामना पूरी होने के बाद बंधी हुई नारियल को निकालकर देवी मां को अर्पित किया जाता है. कई लोग पुत्र प्राप्ति की कामना कुछ लोग अपने कष्टों के निवारण और कई लोग अपने घर में सुख शांति की कामना लेकर नारियल को बांधते हैं. जिससे लोगों की मनचाही मुराद भी पूरी होती है."

मां महामाया मंदिर में बंधी मनोरथ नारियल
मां महामाया से मनोकामना पूरी होने की करते हैं प्रार्थना: मां महामाया मंदिर के पुजारी पंडित मनोज शुक्ला ने बताया कि "श्रद्धालु अपने इष्ट से अपनी मनोकामना को पूर्ण करने के लिए निवेदन करते हैं. जिसके लिए श्रद्धालु तमाम तरह के पूजा पाठ, जप और अनुष्ठान करवाते हैं. इसके साथ ही दूसरे उपाय के रूप में मनोरथ का नारियल बांधकर भी सिद्ध पीठ मां महामाया को प्रसन्न करना होता है. राजस्थान के पुष्कर में प्रसिद्ध हनुमान जी के मंदिर में श्रद्धालु ताला लगाकर अपनी मनोकामना पूरी होने की प्रार्थना करते हैं."

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हैहयवंशीय राजाओं के शासनकाल में बनी थी महामाया मंदिर: सिद्ध पीठ महामाया मंदिर हैहयवंशीय राजाओं के शासनकाल में निर्मित यह मंदिर काफी प्राचीन और ऐतिहासिक है. बताया जाता है कि आठवीं शताब्दी के आसपास इन मंदिरों का निर्माण हैहयवंशीय राजाओं के द्वारा कराया गया था. मां महामाया हैहयवंशीय राजाओं की कुलदेवी है. राजा इन मंदिरों में तंत्र मंत्र साधना करते थे. महामाया मंदिर का गर्भगृह और गुंबद का निर्माण श्री यंत्र के रूप में हुआ. जो कि स्वयं में महालक्ष्मी का रूप है. वर्तमान समय में मां महालक्ष्मी, मां महामाया और मां समलेश्वरी तीनों की पूजा आराधना एक साथ की जाती है.

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