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भक्ति की शक्ति: नवरात्र के सातवें दिन पूजी जाती हैं कालरात्रि, बाधा खत्म करती हैं मां

नवरात्र में मां कालरात्रि की विशेष रूप से आराधना की जाती है. देवी को प्रसन्न करने के लिए जातक पूजा करते समय लाल, नीले या सफेद रंग के कपड़े पहन सकते हैं. मां कालरात्रि की सुबह 4 से 6 बजे तक पूजा करनी चाहिए.

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नवरात्र के सातवें दिन मां कालरात्रि की होती है पूजा

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Published : Mar 31, 2020, 12:05 AM IST

Updated : Mar 31, 2020, 12:22 AM IST

रायपुर: दुर्गा मां के सातवें रूप को मां कालरात्रि के नाम से जाना जाता है. नवरात्र के सातवें दिन इनकी पूजा होती है. देवी कालरात्रि दुष्टों को मार कर भक्तों की रक्षा करती हैं. नवरात्र के सातवें दिन साधक को अपना चित्त भानु चक्र में स्थिर कर पूजा करनी चाहिए. इसके लिए ब्रह्मांड की सभी सिद्धियों के द्वार खुलने लगते हैं. देवी कालरात्रि को व्यापक रूप से माता देवी-भद्रकाली, काली, महाकाली, भैरवी, मृत्यु, रुद्राणी, चामुंडा, दुर्गा और चंडी कई नामों से जाना जाता है.

पंडित अरुणेश शर्मा

नवरात्र में मां कालरात्रि की विशेष रूप से आराधना की जाती है. देवी को प्रसन्न करने के लिए जातक पूजा करते समय लाल, नीले या सफेद रंग के कपड़े पहन सकते हैं. मां कालरात्रि की सुबह 4 से 6 बजे तक पूजा करनी चाहिए. जीवन की कठिनाइयों को कम करने के लिए सात या 9 नींबू की माला देवी को अर्पित कर सकते हैं. सप्तमी की रात में तिल या सरसों के तेल की अखंड ज्योति जलाएं.

जातक पूजा करते समय इन बातों का रखें ध्यान

इसके अलावा अर्गला स्तोत्रम, सिद्धकुंजिका स्तोत्र, काली चालीसा और काली पुराण का पाठ करना चाहिए. सप्तमी की पूरी रात दुर्गा सप्तशती का पाठ करें. देवी कालरात्रि की पूजा करते समय इस बात का ध्यान रखें, जिस स्थान पर मां कालरात्रि की मूर्ति है. उसके नीचे काले रंग का साफ कपड़ा बिछा दें. देवी की पूजा करते समय चुनरी ओढ़ाकर सुहाग का सामान चढ़ाएं. इसके बाद मां कालरात्रि की मूर्ति के आगे दीप जलाएं.

राक्षसों के राजा मारने के लिए मां ने लिया था अवतार

देवी कालरात्रि ने राक्षसों के राजा रक्तबीज को मारने के लिए अवतार लिया था. मां की आराधना से घर में सुख-समृद्धि आती है. मां कालरात्रि का रूप भयानक है, लेकिन वह अपने भक्तों को शुभ फल देती हैं. देवी कालरात्रि को याद करने से राक्षस, दानव, दैत्य, भूत-प्रेत डरकर भाग जाते हैं. दुष्टों का दूर भगाने वाली मां कालरात्रि ग्रह बाधाओं को भी खत्म करती हैं. मां कालरात्रि को प्रसन्न करने के लिए सप्तमी के दिन भगवती को गुड़ का नैवेद्य अर्पित करके ब्राह्मण को दान देना चाहिए. ऐसा करने से कोई दुख नहीं होता.

माता कालरात्रि की उपासना का मंत्र

एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता, लम्बोष्टी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी।

वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा, वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयंकरी॥

Last Updated : Mar 31, 2020, 12:22 AM IST

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