जैतुसाव मठ में मालपुआ का महाभोग रायपुर : जैतुसाव मठ में रामनवमी पर मालपुआ का भोग लगाने की परंपरा है. रामनवमी पर जैतुसाव मठ में भी भव्य आयोजन होता है. भगवान राम को 15 क्विंटल मालपुआ का भोग लगाया जाता है.
कब तक बनाए जाएंगे मालपुआ : मालपुआ बनाने का काम 30 मार्च तक किया जाएगा. 31 मार्च को मालपुआ प्रसाद के रूप में भक्तों और श्रद्धालुओं को बांटा जाएगा. जैतुसाव मठ में हर साल रामनवमी और कृष्ण जन्माष्टमी पर मालपुआ बनाने की परंपरा है.भगवान श्रीराम की आरती करने के बाद राजभोग मालपुआ को प्रसाद के रूप में भक्तों को बांटा जाता है.
पैरा में मालपुआ को रखकर सुखाते हैं तेल
कब से शुरु हुई परंपरा :जैतुसाव मठ न्यास समिति के सचिव महेंद्र अग्रवाल ने बताया कि " महंत लक्ष्मी नारायण दास के समय 1916 से हर साल रामनवमी और कृष्ण जन्माष्टमी पर मालपुआ बनाने की शुरुआत की गई. ये परंपरा आज तक चली आ रही है. इस साल मालपुआ बनाने का काम सोमवार से शुरू कर दिया गया है. 15 क्विंटल मालपुआ बनाया जाएगा. मालपुआ बनाने के काम में 8 कर्मचारी लगे हैं. इस बार 4 क्विटंल मालपुआ ज्यादा बनाया जा रहा है.''
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कैसे बनता है मालपुआ :मालपुआ बनाने के लिए गेहूं को अलग तरह से पीसा जाता है. इसके बाद गेहूं के आटे में सूखा मेवा, काली मिर्च, मोटा सोंफ मिलाते हैं. इसके साथ ही इस मालपुआ को बनाने में तेल और घी का इस्तेमाल किया जाता है. मालपुआ कढ़ाई में छानने के बाद इसे पैरा में सुखाया जाता है. जिससे मालपुआ का तेल पूरी तरह से सूख जाता है. इसके बाद राजभोग आरती में भगवान को मालपुआ का भोग लगाया जाता है.भोग के बाद भक्तों और श्रद्धालुओं को प्रसाद के तौर पर इसे बांटा जाता है.