रायपुर:भगवान श्रीराम ने वनवास के दौरान 10 साल छत्तीसगढ़ में ही गुजारे. ये दावा छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश ने किया है. उन्होंने कहा " राम के बारे में छत्तीसगढ़ के लोगों को बताने की जरूरत नहीं है. हमारे जनजीवन में हमारी संस्कृति में राम है. गांव में राम कोठी बनाई जाती है. गांव में अकाल के समय उसी धान को निकालकर गांव में बांटा जाता है. किसी को परेशानी हो तो रामकोठी से ही धान निकालकर देते हैं. छत्तीसगढ़ में माता कौशल्या का मायका, चंदखुरी में उनका मंदिर, शिवरीनारायण में राम मंदिर, खरौर, तुरतुरिया में वाल्मीकी ऋषि का आश्रम है. वहीं वनवास के दौरान माता सीता रही थी. लव कुश का जन्म यहीं हुआ था. "
भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ के "अटकन बटकन दही चटाका" गीत गाकर सुनाया और उसका अर्थ बताया-" अटकन बटकन दही चटाका लौउा लाठा बन में काठा, सावन में करेला फूटा चल चल बेटा गंगा जाबो, गंगा ले गोदावरी, पाका पाका बेल खाबो बेर की डाली टूट भरे कटोरा फूट गे अउ भरे ब्याहता छूट गे. इसका मतलब बताते उन्होंने कहा कि "इस गीत का संबंध छत्तीसगढ़ और माता सीता से जुड़ा है. अटकन बटकन मतलब दंडक वन में अटक गया भटक गया. लौउा लाठा बन में काठा यानी वन इतना सघन है, यहां इमली आम बेर के पेड़ है. जो खट्टे है. बेल और बबूल के झाड़ कांटों से भरे हैं. इनके चुभने से खून निकल जाता है. सावन की महिमा प्रीतम से मिलने की होती है. लेकिन इस माह में करेला का फूलना प्रीतम की कड़वाहट का प्रतीक है. सीता जी इन परिस्थितियों में व्यथित होकर अपने बेटों से कहती है. यहां से गंगा और गोदवरी के घाट में बेल के बहुत पेड़ है, वह शिवजी का क्षेत्र है. बेल के पेड़ काफी मजबूत होते हैं लेकिन उसकी डाली भी टूट गई और ब्याहता पति का साथ छूट गया. भरे कटोरा यानी धान का कटोरा फूट गया."
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छत्तीसगढ़ के कण कण में राम: "राम से हमारा जुड़ाव है. सरगुजा से जांजगीर चांपा शिवरी नारायण होते हुए बस्तर तक रामवनगमन है. हमारे गांव के नाम राम नाम पर हैं. छत्तीसगढ़ में दो लाख से ऊपर रमरमिया हैं. जो पूरे शरीर में राम नाम का गोदना गोदवाते हैं. ये ऋषि मुनि का प्रदेश हैं. छत्तीसगढ़ में जन्म से मृत्यु तक राम नाम की परंपरा है. जो दिया है वो राम का हैं जो ले जाएंगे वो भी राम का है. "