रायपुर:दीपावली (Dipawali) के दिन माता लक्ष्मी और गणेश(Lakshmi Ganesh) की पूजा की जाती है. 4 नवंबर को दीपावली का त्योहार मनाया जा रहा है. कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या के दिन प्रदोष काल में दीपावली का त्योहार मनाया जाता है. वहीं, दीपावली के दिन भगवान गणेश और माता लक्ष्मी के साथ धन के देवता कुबेर (Kuber) की भी पूजा की जाती है. पौराणिक कथाओं के मुताबिक, भगवान राम (Ram) लंका (Lanka) पर विजय प्राप्त करके अयोध्या (Ayodhya) वापस लौटे थे. राम के लौटने के बाद पूरे अयोध्या को दीपों से सजाया गया था. इसलिए दीपावली मनाई जाती है.
इसलिए साथ पूजे जाते हैं लक्ष्मी-गणेश
वहीं, भगवान गणेश को ऋद्धि-सिद्धि (Riddhi siddhi) के अधिपति और मां लक्ष्मी को धन-संपदा (Dhan sampada) की देवी कहा जाता है. कहते हैं कि इनकी कृपा होने से संसार का सारा सुख मनुष्य को मिल जाता है. मान्यता है कि माता लक्ष्मी उन्हीं के पास टिकती हैं, जिसके पास बुद्धि होती है. यही वजह है कि लक्ष्मी एवं गणपति की एक साथ पूजा की जाती है. जिससे धन और बुद्धि एक साथ मिले. दीपावली सुख समृद्धि का प्रतीक माना जाता है, इसलिए हर परिवार दीपावली की रात इसी कामना से लक्ष्मी पूजन करता है कि लक्ष्मी मां उस पर अपनी कृपा बनाए रखें.
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दोनों की पूजा के बिना दीपावली अधूरी
दीपावली के दिन माता लक्ष्मी और श्रीगणपति की पूजा का बहुत महत्व है. इनकी पूजा के बिना यह त्योहार अधूरा रहता है. अक्सर मन में यह प्रश्न उठता है कि आखिर दीपावली पर मां लक्ष्मी के साथ गणेशजी की पूजा क्यों की जाती है.
माता पार्वती ने लक्ष्मी जी को सौंपा अपना पुत्र
भगवान गणेश बुद्धि के प्रतीक हैं और मां लक्ष्मी धन-समृद्धि की. दिवाली पर घरों में इन मूर्तियों को स्थापित कर पूजन करने से धन और सद्बुद्धि दोनों प्राप्त होती है. शास्त्रों के अनुसार लक्ष्मी को धन का प्रतीक माना गया है. पौराणिक कथाओं के अनुसार लक्ष्मी को धन की देवी होने का अभिमान हो जाता है. विष्णु इस अभिमान को खत्म करना चाहते थे, इसलिए उन्होंने लक्ष्मी से कहा कि स्त्री तब तक पूर्ण नहीं होती है, जब तक वह मां न बन जाए. लक्ष्मी जी का कोई पुत्र नहीं था, इसलिए यह सुन के वह बहुत निराश हो गईं. तब वह देवी पार्वती के पास पहुंचीं. मां पार्वती के दो पुत्र थे इसलिए लक्ष्मी ने उनसे एक पुत्र को गोद लेने की बात कही. मां पार्वती जानती थीं कि लक्ष्मी जी एक स्थान पर लंबे समय नहीं रहती हैं. इसलिए वह बच्चे की देखभाल नहीं कर पाएंगी, लेकिन उनके दर्द को समझते हुए उन्होंने अपने पुत्र गणेश को उन्हें सौंप दिया. इससे लक्ष्मी माता बहुत प्रसन्न हुईं. उन्होंने कहा कि सुख-समृद्धि के लिए पहले गणेश की पूजा करनी पड़ेगी तभी मेरी पूजा संपन्न होगी. यही कारण है कि दिवाली के दिन माता लक्ष्मी के साथ भगवान गणेश की पूजा की जाती है.
लक्ष्मी पूजा का महत्व
हिंदू धर्मग्रंथों में मां लक्ष्मी धन की देवी हैं. यह हम सभी जानते हैं. मां लक्ष्मी की कृपा से ही ऐश्वर्य और वैभव की प्राप्ति होती है. धार्मिक कथाओं के अनुसार कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या को ही समुद्र मंथन से मां लक्ष्मी का आगमन हुआ था. एक अन्य मान्यता के अनुसार इस दिन मां लक्ष्मी का जन्म दिवस होता है. कुछ स्थानों पर इस दिन को देवी लक्ष्मी के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है. जीविद्यार्णव तंत्र में कालरात्रि को शक्ति रात्रि की संज्ञा दी गई है. कालरात्रि को शत्रु विनाशक माना गया है. साथ ही शुभत्व का प्रतीक, सुख-समृद्धि प्रदान करने वाला भी माना गया है. वहीं, हिंदू धर्म में गणपति की पूजा के बिना कोई भी पूजा शुरू नहीं की जाती. दीपावली पर गणपति पूजा की यह भी एक वजह है. सुख-समृद्धि के लिए पहले गणेश की पूजा होती है.