रायपुर: छत्तीसगढ़ में पहली बार प्रदेश स्तरीय जेल लोक अदालत हुआ. केंद्रीय जेल रायपुर में राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यपालक अध्यक्ष गौतम भादुड़ी ने इसका शुभारंभ किया. इस जेल लोक अदालत में प्रदेश भर के जेलों से अलग अलग मामलों में 85 कैदियों की रिहाई हुई. बताया जा रहा है कि रिहा हुए कैदी आर्म्स एक्ट और प्रतिबंधात्मक धाराओं के तहत तीन से पांच साल से जेल में बंद थे. इसका आयोजन छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण बिलासपुर के निर्देशानुसार जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के तत्वावधान में किया गया.
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इस तरह के प्रकरण हुए शामिल:जेल लोक अदालत में ऐसे बंदियों के प्रकरण शामिल हुए, जिनमें बंदियों द्वारा अपराध स्वीकार किया गया हो या रेलवे कोर्ट में लंबित मामले और प्रतिबंधात्मक धाराओं में सजा भुगत रहे कैदियों के प्रकरण शामिल थे. बताया जा रहा है कि वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से हुए इस जेल लोक अदालत में मामलों के निराकरण के लिए जिला न्यायालय में चार खंडपीठ, अनुविभागीय अधिकारी, रायपुर की एक अलग से खंडपीठ और गरियाबंद के लिए दो खंडपीठ, अनुविभागीय दंडाधिकारी और एक अलग से खंडपीठ बनाया गया. रायपुर जेल में वर्तमान में अलग अलग धाराओं में 3,450 कैदी बंद है और प्रदेश भर में 18,000 कैदी है. इनमें अधिकांश 50 साल से अधिक उम्र के कैदियों के मामलों की सुनवाई हुई.
बंदियों का जुर्माना 10 हजार हुआ जमा:जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के प्रवीण मिश्रा ने बताया कि "जेल लोक अदालत में कुल 85 बंदियों की रिहाई हुई है. वहीं एमकेजी फाउंडेशन रायपुर के माध्यम से उन बंदियों का जुर्माना लोक अदालत में जमा कराया गया, जो मामूली राशि के कारण जेल में बंद थे. कुल 10 हजार रुपये की राशि जुर्माना के रूप में जमा की गई है. इसके साथ ही रिहा हुए कैदियों को वन विभाग की ओर से पौधे दिए गए.