रायपुर:अपने व्यंग्य नोवेल लॉकडाउन की लव स्टोरी को लेकरउपन्यासकार महेंद्र कुमार ठाकुर ने ETV भारत से चर्चा में बताया "दूसरों पर व्यंगय करना बहुत आसान है, लेकिन अपने ऊपर व्यंगय करना सबसे कठिन काम है. ऐसे में दूसरे को माध्यम ना बनाकर खुद माध्यम बना. कोरोना को अपनी प्रेमिका और खुद प्रेमी बना. कोरोना को प्रेमिका मानकर उनके वशीभूत होकर कोरोना के होकर रह गए. कोरोना प्रेमिका और स्वयं प्रेमी बनकर व्यंग्य श्रृंगार के माध्यम से इस पूरे उपन्यास को लिखा है."
लॉकडाउन की लव स्टोरी उपन्यास: "लॉकडाउन के समय पूरा देश ही नहीं पूरी दुनिया डरी और सहमी हुई थी. लोगों के पास करोड़ों रुपए थे, लेकिन इन रुपए पैसों को खर्च कहां किया जाए. लॉकडाउन के दौरान लोगों का घर से बाहर निकलना या कहीं भी आना जाना पूरी तरह से प्रतिबंध लगा हुआ था. लोग ना अपने मन से कहीं जा सकते थे, और ना कहीं आ सकते थे. जो जहां था जैसे था सब ठीक था. वहां पर एक ठहराव की स्थिति बन गई थी. कोरोना लॉकडाउन ने पूरी तरह से सिद्ध कर दिया कि सारी सुख सुविधाएं बेकार है. हिंदी में व्यंग्य और श्रृंगार दोनों एक दूसरे के विरोधाभासी हैं. जहां पर व्यंगय होगा वहां श्रृंगार नहीं होगा और जहां पर श्रृंगार होगा वहां पर व्यंग्य नहीं हो सकता. लेकिन मैंने लॉकडाउन की लव स्टोरी नामक इस उपन्यास में श्रृंगार और व्यंगय का प्रयोग किया है."