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ईडी का शिकंजा...मनी लॉन्ड्रिंग मामले में शराब कारोबारी सुभाष शर्मा गिरफ्तार, 39.68 करोड़ की संपत्ति अटैच - chhattisgarh crime news

raipur money laundering case : प्रवर्तन निदेशालय ईडी ने बैंक धोखाधड़ी मामले में बड़ी कार्रवाई की है. ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत शराब कारोबारी सुभाष शर्मा को गिरफ्तार कर लिया है.

raipur money laundering case
मनी लॉन्ड्रिंग मामले में शराब कारोबारी सुभाष शर्मा गिरफ्तार

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Published : Mar 8, 2022, 1:09 PM IST

रायपुर :प्रवर्तन निदेशालय ईडी ने बैंक धोखाधड़ी मामले में बड़ी कार्रवाई की है. ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत शराब कारोबारी (raipur money laundering case) सुभाष शर्मा को गिरफ्तार कर लिया है. सोमवार को विशेष न्यायाधीश लीना अग्रवाल की कोर्ट ने सुभाष शर्मा को 10 दिन के लिए ईडी की कस्टडी में भेजा है. ईडी ने सुभाष शर्मा की 39.68 करोड रुपए की चल-अचल संपत्ति को भी अटैच किया है. ईडी के मुताबिक सुभाष शर्मा ने खुद के द्वारा संचालित और नियंत्रित कंपनियों के माध्यम से विभिन्न बैंकों से फर्जी दस्तावेजों के आधार पर करोड़ों रुपए का लोन लिया था. इस संबंध में छत्तीसगढ़ पुलिस और केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो में करीब 54 करोड़ रुपए के घोटाले के मामले दर्ज किये गए हैं. इन्हीं मामलों के आधार पर ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत जांच शुरू की. जांच-पड़ताल के बाद ईडी ने सुभाष शर्मा से प्रारंभिक पूछताछ की और उसे गिरफ्तार कर लिया.

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ईडी और सीबीआई ने एक साथ की थी छापेमारी
जानकारी के मुताबिक सुभाष शर्मा के खिलाफ ईडी और सीबीआई ने एक साथ दिसंबर 2018 में छापेमारी की कार्रवाई की थी. छापे के दौरान ईडी को कई महत्वपूर्ण दस्तावेज मिले थे. उसके बाद से ही लगातार सुभाष शर्मा के दस्तावेजों की पड़ताल की जा रही थी. ईडी के अनुसार सुभाष शर्मा ने फर्जी तरीके से 54 करोड़ का ऋण लिया था. जांच में सामने आया है कि शर्मा ने 29.65 करोड़ की लोन राशि विभिन्न कंपनियों के जरिये मशीनों समेत अन्य चीजों के लिए निवेश किया था.

बैंकों से लोन लेकर दूसरे व्यवसाय में किया निवेश
ईडी की जांच में पाया गया कि दिसंबर 2009 से लेकर दिसंबर 2014 तक सुभाष शर्मा ने बैंकों से लोन लेकर दूसरे व्यवसाय में निवेश किया. साथ ही लोन की राशि से फर्जी कंपनियों के नाम से अचल संपत्ति भी खरीदी. सुभाष शर्मा की कई कंपनियों की कोई व्यावसायिक गतिविधि नहीं थी. इन्हें केवल लोन की राशि ट्रांसफर करने के लिए बनाया गया था.

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