धीरे-धीरे टूट रहा जोगी का कुनबा, एक-एक कर 'हाथ' थाम रहे पार्टी के नेता - जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे)
रायपुर: छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी की पार्टी का कुनबा एक-एक करके बिखर रहा है. जिन्होंने कभी कांग्रेस छोड़ थामा था अजीत जोगी का हाथ, अब वही छोड़ रहे हैं उनका साथ.
विधानसभा चुनाव 2018 में जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ जे के लिए मिलाजुला अनुभव रहा. एक तरफ जहां पहली बार चुनाव लड़ने के बाद भी जेसीसी (जे) सात सीटें जीतने में कामयाब रही, वहीं जिस कांग्रेस पार्टी को छोड़कर अजीत जोगी ने नई पार्टी बनाई उसने ऐतिहासिक बहुमत के साथ सत्ता में वापसी की.
कांग्रेस में शामिल हुए कई नेता
खट्टे, मीठे अनुभव के साथ जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ अब लोकसभा चुनाव भी लड़ने का एलान कर चुकी है, लेकिन इसी बीच पार्टी में बिखराव नजर आने लगा है कई कार्यकर्ताओं ने जोगी कांग्रेस का साथ छोड़ सत्ताधारी कांग्रेस का हाथ थाम लिया है. ये वो कार्यकर्ता और नेता हैं, जिन्होंने एक वक्त पर कांग्रेस से ज्यादा अजीत जोगी पर भरोसा दिखाया था और नई पार्टी में शामिल हो गए थे.
सत्ता के साथ बदल गए सुर
जैसे ही वक्त के साथ सत्ता और सरकार बदली, इन कार्यकर्ताओं के सुर भी बदल गए. एक ओर जहां कई छोटे-बड़े कई कार्यकर्ता जोगी का हल छोड़कर कांग्रेस का हाथ थाम चुके हैं और कई और जाने की तैयारी में हैं. इनमें कुछ नाम जाने-माने भी हैं जैसे विनोद तिवारी, सीमा कौशिक वहीं कई नामों के जाने की भी चर्चा है, जिनमें जेसीसीजे रायपुर ग्रामीण से प्रत्याशी रहे ओम प्रकाश देवांगन, पूर्व विधायक विधान मिश्रा का नाम सामने आ रहा है.
कौशिक को पार्टी ने किया निलंबित
इसके साथ ही सियाराम कौशिक का नाम भी है जिन्हें पार्टी ने गतिविधियों की वजह से निलंबित कर दिया है. ऐसे में सियाराम कभी भी कांग्रेस में वापसी कर सकते हैं. पार्टी में हो रही इस टूट को लेकर अजीत जोगी क्या करने वाले हैं क्या सोच रही है, इन सभी विषयों पर ईटीवी भारत ने जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) के प्रवक्ता और दो बार विधायक रह चुके परेश बागबाहरा से चर्चा की.
'कार्यकर्ताओं से करेंगे बात'
परेश का कहना है कि, 'पार्टी लगातार अपने कार्यकर्ताओं और नेताओं से चर्चा करने के साथ ही उनकी समस्याओं और शिकायतों को जानने की कोशिश भी कर रही है'.
'कुछ लोगों के जाने से नहीं टूटती पार्टी'
उन्होंने कहा कि, 'कुछ लोगों के पार्टी छोड़कर दूसरे दल में जाने से नहीं कहा जा सकता कि हम टूट रहे हैं, या पार्टी बिखर रही है. आने वाले लोकसभा चुनाव में हम बेहद मजबूती के साथ चुनाव लड़ेंगे, जिसमें सभी कार्यकर्ता और नेता अपनी एकजुटता उसी तरह बनाए रखेंगे जैसे उन्होंने पिछले विधानसभा चुनाव में बनाई थी'.