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भूपेश सरकार का बड़ा फैसला, लेमरू रिजर्व एरिया का होगा निर्माण - इंसान और हाथी में टकराव के हालात

ETV भारत की मुहिम रंग लाई है. हाथी और इंसान के बीच बढ़ते टकराव को रोकने के लिए भूपेश सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है. सरकार ने लेमरू रिजर्व एरिया का निर्माण करने का एलान किया है.

लेमरू रिजर्व एरिया का होगा निर्माण

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Published : Aug 28, 2019, 9:17 PM IST

रायपुर:छत्तीसगढ़ में इंसान और हाथी के बीच होने वाले टकराव को लेकर राज्य सरकार ने बड़ा फैसला लिया है. ETV भारत ने लगातार छत्तीसगढ़ में मानव और हाथी के बीच टकराव को कम करने और लेमरू रिजर्व एरिया को बचाने के लिए मुहिम चलाई थी.

लेमरू रिजर्व एरिया का होगा निर्माण

छत्तीसगढ़ सरकार ने 2007 में प्रस्तावित लेमरू एलीफेंट रिजर्व पर मुहर लगा दी है. साथ ही पुराने प्रस्ताव में संशोधन करते हुए इसे 4 गुना बढ़ाकर करीब 1995 वर्ग किलोमीटर में बनाने के लिए मंजूरी दी है.

इंसान और हाथी के बीच टकराव के हालात बरकार
बता दें कि छत्तीसगढ़ में पिछले कई साल से इंसान और हाथी के बीच टकराव के हालात बने हुए हैं. इसके पीछे जंगलों की मनमानी कटाई और अंधाधुंध माइनिंग जैसे कारण रहे हैं. अब प्रदेश सरकार ने हाथियों के लिए लेमरू एलिफेंट रिजर्व के निर्माण को मंजूरी दे दी है. इतना ही नहीं लगातार चल रही मुहिम के बाद लेमरू के 450 वर्ग किलोमीटर के पुराने प्रस्ताव को अब संशोधन कर 1995.48 वर्ग किलोमीटर में रिजर्व बनाने की मंजूरी दी है.

छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन के संयोजक का सुझाव-

  • 4 कोल ब्लॉक पातुरिया, गिड़मूड़ी, मदनपुर साउथ और परसा का आवंटन किया जा चुका है.
  • 3 साल में इन चार कोल ब्लॉक के प्रभावित गांव में हाथी की मौजूदगी रही है.
  • चारों कोल ब्लॉक के क्षेत्र को लेमरू रिजर्व में शामिल किया जाए.
  • सरकार को इस परियोजना को सार्वजनिक करना चाहिए.
  • हाथी अभ्यारण्य कोई कानूनी व्यवस्था नही हैं, फिर इसको किस रूप में नोटिफाई किया जाएगा.
  • किस कैटेगरी में नोटिफाई किया गया, अभ्यारण्य या राष्ट्रीय पार्क इसको भी बताया जाए.
  • इस क्षेत्र के सभी गांव में वनाधिकार की प्रक्रिया में सामुदायिक वन संसाधनों को मान्यता देकर समुदाय आधारित वन का प्रबंधन शुरू किया जाए.
  • लेमरू रिजर्व के साथ वह क्षेत्र जो हाथी के माइग्रेटरी कॉरिडोर के रूप में चिन्हित रहे हैं.

सरकार ने मांगी जानकारी
गौरतलब है कि सरकार बनने के बाद अब इसके लिए तैयारी शुरू कर दी गई है. कोरबा वनमंडल से जानकारी मांगी गई है कि हाथी कब-कब लेमरू पहुंचे. कितने दिन रूके. पांच साल में हाथियों ने कितना उत्पात मचाया. जनहानि से लेकर फसल क्षतिपूर्ति की भी जानकारी मांगी गई है.

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