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भाजपा के दबाव में सरकार ने आरक्षण बिल किया पारित: नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल - Government under pressure from tribals

special assembly session भूपेश बघेल सरकार ने विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर आरक्षण बिल को अध्यादेश लाकर पारित कर लिया. बिल को राज्यपाल के हस्ताक्षर के लिए भी भेज दिया गया है. अब भाजपा नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल ने एकात्म परिसर में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सकरार को घेरा है.

Reservation bill passed in special assembly session
विशेष विधानसभा सत्र में आरक्षण बिल पारित

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Published : Dec 3, 2022, 6:46 PM IST

रायपुर:special assembly session छत्तीसगढ़ विधानसभा में शुक्रवार को नया आरक्षण विधेयक सर्व सम्मति से पारित हो गया. इस विधेयक के अनुसार अब छत्तीसगढ़ में अनुसूचित जनजाति के लिए 32 फीसदी आरक्षण (schedule tribe), अनुसूचित जाति के लिए 13 फीसदी आरक्षण, ओबीसी के लिए 27 फीसदी आरक्षण और EWS के लिए चार फीसदी रिजर्वेशन का प्रावधान किया गया है. छत्तीसगढ़ विधानसभा में यह विधेयक सर्वसम्मति से पारित हुआ. उसके बाद इस बिल को राज्यपाल के पास हस्ताक्षर के लिए भेजा गया है.

विशेष विधानसभा सत्र में आरक्षण बिल पारित

"सरकार ने न भाजपा के दबाव में लाया आरक्षण बिल":विधानसभा के विशेष सत्र में आरक्षण बिल पारित होने के बाद भाजपा नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल ने एकात्म परिसर में प्रेस कॉन्फ्रेंस किया. इस मौके पर उन्होंने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि "छत्तीसगढ़ सरकार ने एक और दो दिसंबर को विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया. पिछले दो महिने भारतीय जनता पार्टी लगातार आरक्षण को लेकर दबाव बना रही थी. आदिवासी समाज भी लगातार प्रदर्शन कर रही थी. भारतीय जनता पार्टी और आदिवासियों के दबाव में सरकार आ गई थी. यह आरक्षण बिल भाजपा की वजह से पारित हुई हैं. हमने इसको समर्थन दिया और सर्वसम्मति से इसको पारित कराया, लेकिन अभी भी हमको इनकी नीयत में खोट हैं. क्योंकि इस बिल को उन्होंने पूरी तैयारी से सदन में प्रस्तुत नहीं किया."

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"सरकार की नीयत में खोट":उन्होंने आगे कहा कि "भानुप्रतापपुर में चुनाव चल रहा है सामान्य रूप से, चुनाव घोषित होने के पहले सत्र घोषित नहीं हुआ था. अगर इनकी नीयत साफ थी तो अध्यादेश क्यों नहीं लाया. हमने उस समय मांग भी किया था कि तत्काल अध्यादेश ले आए. जब इनकी मंशा साफ थी कि हमको इन वर्गों को आरक्षण देना है. हम भी पक्षधर हैं. हम तो और बढ़ा कर देना चाहते हैं. लेकिन इनकी नीयत साफ नहीं और अभी भी हमको आशंका हैं. जब आप पूरी तैयारी से बिल को पारित नहीं करेंगे तो न्यायलय में दिक्कत आ सकती है. इसलिए हमने सारे तथ्यों को सदन में रखा है."

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