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lakshmi pujan on friday : शुक्रवार के दिन करें लक्ष्मी पूजन,बरसने लगेगी कृपा - friday worship god

मां लक्ष्मी सुख, समृद्धि और धन की देवी है. जब लक्ष्मी माता का व्रत किया जाता है तो लक्ष्मी माता की कहानी सुनकर व्रत पूर्ण किया जाता है. लक्ष्मी माता के व्रत को वैभव लक्ष्मी व्रत भी कहा जाता है. Vaibhav Lakshmi Vrat शुक्रवार के दिन रखा जाता है.इस व्रत को स्त्री या पुरुष कोई भी कर सकता है Lakshmi Mata का व्रत रखने से सुख समृद्धि और धन की प्राप्ति होती हैं. friday worship god ऐसा कहा जाता है कि दरिद्रता को दूर करने के लिए लक्ष्मी माता को प्रसन्न करना आवश्यक है. आज हम आपको लक्ष्मी माता से जुड़ी ऐसी ही कथा के बारे में बताने जा रहे हैं.

Story of Lakshmi Mata
शुक्रवार के दिन करें लक्ष्मी पूजन

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Published : Jan 6, 2023, 3:52 AM IST

रायपुर / हैदराबाद :दिवाली वाले दिन माता लक्ष्मी का व्रत किया जाता है और Lakshmi Mata की कहानी सुनी जाती हैं. ऐसी मान्यता है कि इस दिन मां लक्ष्मी पृथ्वी पर विचरण करने आती हैं. जो भी मां लक्ष्मी के सच्चे मन से आराधना करता है. मां लक्ष्मी उस पर अपनी कृपा बरसाती हैं. दिवाली वाले दिन कई लोग व्रत रखते हैं और शाम के समय विधि विधान से व्रत खोलते हैं.इस दिन भी Story of Lakshmi Mata सुनी जाती है.ऐसी मान्यता है कि दिवाली वाले दिन लक्ष्मी माता को प्रसन्न करने के लिए कथा सुनने के बाद व्रत तोड़ना लाभकारी है. इस दिन माता लक्ष्मी का पृथ्वी पर वास होता है. इसलिए दिवाली की अमावस्या को व्रतधारी लक्ष्मी देवी को प्रसन्न करने के लिए कई तरह के उपाय भी करते हैं.

लक्ष्मी माता की कहानी : एक गांव में एक साहूकार रहता था. साहूकार की एक बेटी थी. वह हर रोज पीपल सींचने जाती थी. पीपल के वृक्ष में से लक्ष्मी जी प्रकट होती थी और चली जातीं.एक दिन लक्ष्मी जी ने साहूकार की बेटी से कहा, तू मेरी सहेली बन जा. तब लड़की ने कहा कि मैं अपने पिता से पूछकर कल आऊंगी. साहूकार की बेटी ने घर जाकर अपने पिता को सारी बात कह दी. तब उसके पिताजी बोले वह तो लक्ष्मी जी हैं. अपने को और क्या चाहिए तू लक्ष्मी जी की सहेली बन जा. दूसरे दिन वह लड़की फिर गईं. तब लक्ष्मी जी पीपल के पेड़ से निकल कर आई और कहा सहेली बन जा तो लड़की ने कहा , बन जाऊंगी और दोनों सहेली बन गई.लक्ष्मी जी ने उसको खाने का न्यौता दिया. घर आकर लड़की ने मां –बाप को कहा कि मेरी सहेली ने मुझे खाने का न्योता दिया है. तब बाप ने कहा कि सहेली के जीमने जाइयो पर घर को संभाल कर (Story of Lakshmi Mata) जाना.

लक्ष्मी देवी की बरसी कृपा :तब वह लक्ष्मी जी के यहां भोजन करने गई तो लक्ष्मी जी ने उसे शाल दुशाला ओढ़ने के लिए दिया , रुपये दिये , सोने की चौकी , सोने की थाली में छत्तीस प्रकार का भोजन कराएं. भोजन करके जब वह जाने लगी तो लक्ष्मी जी ने पल्ला पकड़ लिया और कहा कि मैं भी तेरे घर जीमने आऊंगी. तो उसने कहा आ जाइयो.वह घर जाकर चुपचाप बैठ (Blessings of Lakshmi Devi) गई .तब बाप ने पूछा कि बेटी सहेली के यहां भोजन करके आ गईं ? लेकिन तू उदास क्यों बैठी है ? तो उसने कहा पिताजी मेरे को लक्ष्मी जी ने इतना दिया अनेक प्रकार के भोजन कराएं परन्तु मैं कैसे ये सब कर पाऊंगी ? अपने घर में तो कुछ भी नहीं है. तब उसके पिता ने कहा कि गोबर मिट्टी से चौका लगाकर घर की सफाई कर ले. चार मुख वाला दीया जलाकर लक्ष्मीजी का नाम लेकर रसोई में बैठ जाना. लड़की सफाई करके लड्डू लेकर बैठ गई .उसी समय एक रानी नहा रही थी.उसका नौलखा हार चील उठाकर ले गया.लेकिन चील ने साहूकार के घर वह नौलखा हार डाल दिया और लड्डू ले उड़ा.

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माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए लिया सामान :साहूकार की बेटी ने हार देखा और उसे तोड़कर बाजार में गई और सामान लाने लगी. सुनार ने पूछा कि क्या चाहिए ? तब उसने कहा कि सोने की चौकी , सोने का थाल , शाल दुशाला दे दें , मोहर दें और सामग्री दें . छत्तीस प्रकार का भोजन हो जाए इतना सामान दें सारी चीजें लेकर बहुत तैयारी करी और रसोई बनाई तब गणेश जी से कहा कि लक्ष्मी जी को बुलाओ.इसके बाद आगे-आगे गणेश जी और पीछे-पीछे लक्ष्मी देवी आईं. युवती ने फिर चौकी आगे बढ़ाकर लक्ष्मी जी को विराजने के लिए कहा.तब लक्ष्मी जी ने कहा कि चौकी में मैं तो राजा और महाराजा के यहां भी नहीं बैठी. तब लक्ष्मी जी की सहेली ने उनसे चौकी पर बैठने के लिए आग्रह किया. जिसे लक्ष्मी जी ने स्वीकार किया और चौकी पर बैठ गई.इसके बाद साहूकार की बेटी ने लक्ष्मी जी की काफी खातिर दारी की. लक्ष्मीजी उस पर खुश हो गईं. घर में खूब रुपया एवं लक्ष्मी हो गई.साहूकार की बेटी ने कहा, मैं अभी आ रही हूं. तुम यहीं बैठी रहना और वह चली गई.लक्ष्मीजी गई नहीं और चौकी पर बैठी रहीं. उसको बहुत दौलत दी.

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