रायपुर: ये बात सुनने में अजीब जरूर लगेगी, लेकिन यह सच है कि भारत समेत छत्तीसगढ़ में बारिश के मौसम में एक क्षेत्र में बाढ़ की स्थिति होती है, जबकि दूसरे क्षेत्रों में भयंकर सूखा होता है. अगर बात करें छत्तीसगढ़ की तो प्रदेश का एक हिस्सा ऐसा है, जहां लोग पानी की एक-एक बूंद के लिए तरसते नजर आते हैं. कई जगह तो संघर्ष तक के हालात बन जाते है.
इसके पीछे की सबसे बड़ी वजह से कि हम अमृत के समान पानी को इकट्ठा करने या कहें कि, वाटर हार्वेस्टिंग को लेकर कई ठोस कदम नहीं उठाते हैं. बता दें कि छत्तीसगढ़ के गिरते जल स्तर को लेकर केंद्रीय भूजल सर्वेक्षण विभाग ने भी चिंता जताई है. छत्तीसगढ़ देशभर में 21 ब्लॉक क्रिटिकल जोन में आता है.
तेजी से नीचे जा रहा जलस्तर
जिस तरह से गर्मी के दिनों में सूखे की वजह से पेयजल की किल्लत होती है, वहीं बारिश के मौसम में बाढ़ से लोग हलाकान रहते हैं. केंद्रीय भूजल विभाग के साथ ही नीति आयोग की रिपोर्ट में जल प्रबंधन से जुड़ी कई महत्वपूर्ण जानकारी निकलकर आयी है. रिपोर्ट में छत्तीसगढ़ के जल प्रबंधन पर चिंता जताई गई है. छत्तीसगढ़ को 50 से भी कम नंबर मिले हैं. छत्तीसगढ़ राज्य में भूजल स्तर हर साल औसत 2 मीटर नीचे जा रहा है, शहरी इलाकों में हालात और खराब हैं.
रेन वॉटर हार्वेटिंग है बेहद कारकर
केंद्रीय भू जल बोर्ड की रिपोर्ट के अनुसार रायपुर में पिछले 10 सालों में भूजल स्तर तेजी से नीचे गिरा है. वहीं बारिश में बेवजह बहने वाले पानी को सहेजने के लिए भी रेन वॉटर हार्वेस्टिंग जैसे उपायों को भी सेंट्रल ग्राउंड वॉटर डिपार्टमेंट के अधिकारियों ने बेहद कारगर बताया है.
कागजों पर चल रहा काम
लगातार हो रहे पानी के अंधाधुंध दोहन के बाद बारिश के पानी को सुरक्षित करने और इस्तेमाल करने के लिए राज्य सरकार की और से भवन और घरों में वॉटर हार्वेस्टिंग बनाने के लिए तमाम आदेश पारित किए गए हैं. इसके अलावा नए भवन और मकानों के नक्शे में वॉटर हार्वेस्टिंग निर्माण के लिए अनुमति अनिवार्य तो कर दी गई है, लेकिन इसका पालन विभाग के अधिकारी और कर्मचारी केवल कागजों में ही कर रहें हैं.