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Kuno National Park Cheetah जानिए चीतों को बसाने के लिए कूनो नेशनल पार्क को ही क्यों चुना गया

15 फरवरी तक कूनो राष्ट्रीय उद्यान में 12 और चीते दक्षिण अफ्रीका से लाए जा रहे हैं. इससे पहले 17 सितंबर को नामिबिया से 8 चीते भारत के कूनो नेशनल पार्क लाए गए थे. कूनो नेशनल पार्क का नाम कूनो नदी से लिया गया है. साल 1981 में श्योपुर और मुरैना जिलों में 344.686 किमी में वन्यजीव अभयारण्य के रूप में स्थापित किया गया था. 2018 में इसे राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा दिया गया था.

Kuno National Park
कूनो नेशनल पार्क

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Published : Jan 29, 2023, 7:52 AM IST

Updated : Jan 29, 2023, 8:00 AM IST

रायपुर/हैदराबाद:कूनो वन्यजीव अभयारण्य की स्थापना 1981 में लगभग 344.68 किमी2 (133.08 वर्ग मील) में की गई थी. भारत में शेरों की आबादी को बढ़ाने के लिए इसे बनाया गया था. लेकिन गुजरात ने गिर से कूनो में शरे के स्थानांतरण का विरोध किया था. क्योंकि इससे गिर अभयारण्य एशियाई शेरों के दुनिया के एकमात्र रहवास के रूप में अपना दर्जा खो देगा. अप्रैल 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात को अपने कुछ गिर शेरों को मध्य प्रदेश भेजने का आदेश दिया. कोर्ट ने इसके लिए 6 महीने का समय दिया. लेकिन गुजरात ने इसे पूरा नहीं किया. दिसंबर 2018 में राज्य सरकार ने वन्यजीव अभयारण्य की स्थिति को कूनो नेशनल पार्क में बदल दिया.

पर्यावरणविद बताते हैं कि कूनो राष्ट्रीय उद्यान में शेरों के स्थानांतरण से बचने के लिए कूनो राष्ट्रीय उद्यान में अफ्रीकी चीतों को लाने की योजना बनाई गई. 17 सितंबर 2022 को 4 से 6 साल की उम्र के पांच मादा और तीन नर चीते नामीबिया से कूनो नेशनल पार्क पहुंचे. फरवरी में 12 और चीते अफ्रीका से लाए जा रहे हैं.

कूनो कैसे पहुंचे:कूनो पहुंचने के लिए हवाई ट्रेन और सड़क मार्ग सभी की सुविधाएं है. आप अपनी सुविधानुसार किसी भी मार्ग से पहुंच सकते हैं.

हवाई मार्ग से कूनो पहुंचने के लिए निकटतम हवाई अड्डा ग्वालियर हवाई अड्डा है. जो मुरैना से लगभग 30 किलोमीटर, भिंड से लगभग 80 किलोमीटर और श्योपुर जिले से लगभग 210 किलोमीटर दूर स्थित है.

ट्रेन से कूनो पहुंचने के लिए मुरैना और भिंड जिले में रेलवे स्टेशन है. श्योपुर को नैरो गेज के जरिए मुरैना और ग्वालियर से जोड़ा जाता है.

सड़क के द्वारा सभी जिले बस द्वारा अच्छी तरह से जुड़े हुए हैं. पर्यटक स्वयं या किराए के वाहन के जरिए यहां पहुंच सकते हैं.

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कूनो में वनस्पति:संरक्षित क्षेत्र की वनस्पतियों में एनोजिसस पेंडुला वन और झाड़ी, बोसवेलिया और बुटिया वन, शुष्क सवाना वन और घास के मैदान और उष्णकटिबंधीय नदी के जंगल शामिल हैं.प्रमुख पेड़ों की प्रजातियां बबूल केचू, सलाई बोसवेलिया सेराटा, तेंदू डायोस्पायरोस मेलानोक्सिलोन, पलाश बुटिया मोनोस्पर्मा, ढोक एनोजिसस लैटिफोलिया, बबूल ल्यूकोफ्लोआ, ज़िज़िफ़स मॉरिटियाना और ज़िज़िफ़स ज़ाइलोपाइरस हैं. प्रमुख झाड़ीदार प्रजातियों में ग्रेविया फ्लेवेसेंस, हेलिक्टेरेस आइसोरा, होपबश विस्कोसा, विटेक्स नेगुंडो शामिल हैं. घास की प्रजातियों में हेटेरोपोगोन कॉन्टोर्टस, एप्लुडा म्यूटिका, अरिस्टिडा हिस्ट्रिक्स, थेमेडा क्वाड्रिवल्विस, सेन्क्रस सिलियारिस और डेस्मोस्टाच्या बिपिन्नाटा शामिल हैं। सेन्ना तोरा और आर्जेमोन मेक्सिकाना भी आम हैं.

कूनों में स्तनधारी:संरक्षित क्षेत्र में पाए जाने वाले मुख्य शिकारियों में भारतीय तेंदुआ, जंगल बिल्ली, भालू, ढोल, भारतीय भेड़िया, भारतीय सियार, धारीदार लकड़बग्घा और बंगाल लोमड़ी हैं. चीतल, सांभर, नीलगाय, चौसिंघा, चिंकारा, ब्लैकबक और जंगली सूअर शामिल हैं. भारतीय ग्रे नेवला, सुर्ख नेवला, छोटा भारतीय नेवला, शहद बेजर, ग्रे लंगूर, भारतीय क्रेस्टेड साही और भारतीय खरगोश भी दर्ज किए गए हैं.

सरीसृप:यहां मौजूद रेटाइल्स में लुटेरा मगरमच्छ, घड़ियाल, बंगाल मॉनिटर और भारतीय सॉफ्टशेल कछुआ शामिल हैं.

पक्षियों की विभिन्न प्रजातियां:2007 में सर्वेक्षण के दौरान पक्षियों की कुल 129 प्रजातियां देखी गईं. आइड बज़र्ड, चेंजेबल हॉक-ईगल, ब्राउन फिश उल्लू और चित्तीदार उल्लू निवासी रैप्टर हैं. वेस्टर्न मार्श-हैरियर, पाइड हैरियर, मोंटागु'स हैरियर, स्टेपी ईगल, ओस्प्रे, कॉमन केस्ट्रेल, शॉर्ट-ईयर उल्लू, डेमोइसेल क्रेन और कॉमन क्रेन सर्दियों में आने वाले पक्षी है.

Last Updated : Jan 29, 2023, 8:00 AM IST

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