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कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय में VC की नियुक्ति नियमों के खिलाफ: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट - रायपुर केटीयू में वीसी की नियुक्ति का मामला

Chhattisgarh High Court notice to Government कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय के कुलपति की मुश्किलें बढ़ सकती है. उनकी नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका पर बुधवार को छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. कोर्ट ने भी माना कि नियुक्ति नियमों के विरुद्ध हुई है. याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में कहा है कि उनके पास प्रोफेसर बनने की न्यूनतम योग्यता भी नहीं है. ऐसे में वे कुलपति कैसे बन गए. याचिकाकर्ता डॉक्टर शाहिद अली ने खुद को कुलपति पद का दावेदार बताया.

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कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विवि में वीसी की नियुक्ति

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Published : Mar 30, 2023, 10:25 AM IST

बिलासपुर: कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता और जनसंचार यूनिवर्सिटी में वीसी के पद पर बलदेव भाई शर्मा की नियुक्ति को लेकर बुधवार को छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने कहा कि विश्वविद्यालय में वीसी की नियुक्ति नियमों के खिलाफ हुई है. याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस पी सैम कोशी और पीपी साहू की डबल बेंच ने यूनिवर्सिटी, छत्तीसगढ़ शासन, यूजीसी और कुलपति बलदेव भाई शर्मा को नोटिस कर जवाब मांगा है.

कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डॉ शाहिद अली ने कुलपति बलदेव भाई शर्मा की नियुक्ति के खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका लगाई है. याचिकाकर्ता ने याचिका दायर कर कोर्ट को बताया है कि कुलपति के पास न्यूनतम योग्यता पूरी ना करने और नियुक्ति में यूजीसी के रेगुलेशन 2018 के अनिवार्य प्रावधानों का उल्लंघन किया गया है. याचिकाकर्ता ने कुलपति की नियुक्ति को रद्द करने की मांग की है. याचिका में यह भी बताया गया है कि कुलपति बलदेव भाई शर्मा ने किसी भी विषय की ना तो पीजी डिग्री हासिल की है और ना ही पीएचडी की वैध उपाधि है. यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर बनने की न्यूनतम योग्यता भी वे नहीं रखते है.

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याचिकाकर्ता ने खुद को कुलपति पद का बताया दावेदार:याचिकाकर्ता शाहिद अली ने खुद को कुलपति पद के का दावेदार बताया है. उन्होंने कहा कि उनके जैसे कई और लोग भी है जो इस पद के दावेदार है, जिनके पास कुलपति पद के लिए उच्चतम योग्यताएं है. बलदेव भाई शर्मा ने साल 2017 में ही इंदिरा गांधी विश्वविद्यालय, रेवाड़ी से डॉक्ट्रेट की मानद उपाधि ली है, जिसका उपयोग किसी एकेडमिक वर्क में नहीं किया जा सकता है, लेकिन इन्होंने कुलपति पद के आवेदन में इसका दुरुपयोग करते हुए एकेडमिक योग्यता के रूप में दर्शाया है. याचिकाकर्ता े कुलपति की नियुक्ति में सांठगांठ और गड़बड़ी करने का आरोप लगाते हुए हाई लेवल पर जांच और दोषियों पर कार्रवाई की भी मांग की है.

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