रायपुर: नवा रायपुर अटल नगर स्थित पुरखौती मुक्तांगन में बैकुंठपुर के कोरिया पैलेस की रिप्लिका तैयार की गई है. संस्कृति और पुरातत्व विभाग के उपसंचालक जेआर भगत ने बताया कि मुक्तांगन में रिप्लिका का निर्माण कार्य पूर्ण हो गया है. वहीं अब साज सज्जा और महल के पुताई का काम बाकी है. उन्होंने बताया कि इस पूरे रिप्लिका को पूर्ण रूप से तैयार करने के लिए लगभग 50 लाख रुपए की राशि खर्च होगी.
उन्होंने बताया कि महल का कार्य पूरा हो गया है. अब सिर्फ रंग और साज-सज्जा का कार्य बचा हुआ है. वहीं इस कार्य को अक्टूबर माह के अंत तक पूरा करने के लिए कहा गया है. नवंबर में राज्य स्थापना दिवस के मौके पर रिप्लिका का उद्घाटन किया जाएगा.
कोरिया राजमहल की रिप्लिका तैयार कोरिया पैलेस का इतिहास
1929 में कोरिया पैलेस का निर्माण कार्य शुरू हुआ था. नागपुर की कंपनी ने महल का नक्शा बनाया. 1924 में अकाल पड़ने पर आम जनता को रोजगार देने के मकसद से राज महल का निर्माण कार्य तेज कर दिया गया. इसके कारण सैकड़ों लोगों को रोजगार मिल पाया. बताया जाता है कि पहली मंजिल का काम लगभग 7 साल बाद यानी 1930 में पूरा हुआ. उसके बाद राजपरिवार के सदस्य महल में रहने आ गए.
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1939 में दूसरी मंजिल का कार्य शुरू हुआ
कोरिया राज महल के दूसरी मंजिल का कार्य 1939 में प्रारंभ किया गया. उस दौरान लोग राज महल को घड़ी के नाम से पुकारते थे. साल 1942 में फिर अकाल पड़ने पर दो मंजिला पैलेस बनाने के बाद ऊपर कमरे और गुंबद बनवाए गए. जिसमें मुगल और राजस्थान के किलों की नक्काशी की गई. बताया जाता है कि इस महल की छत पर बगीचा भी बनाया गया था. उसका नाम गुप्त गार्डन दिया गया था.
जानकारों के अनुसार कोरिया पैलेस के नीव को 12 फीट गहरा रखा गया था. इसी कारण से यह पैलेस सालों बाद भी पूरी तरह से सुरक्षित है. महल के निर्माण में चूना ईट के बुरादे के साथ-साथ बेल फल का गूदा मिलाकर बनाया गया था. चूने से ही पैलेस को प्लास्टर किया गया था. इसके लिए खास तौर पर इटली से मार्बल मंगवाया गया था. बताया जाता है कि राज परिवार के सदस्य गर्मियों के मौसम में पहली मंजिल पर रहते थे. ठंड के मौसम में दूसरी मंजिल पर रहते थे. कोरिया रियासत के नाम से मशहूर क्षेत्र कोरिया जिले के नाम से जाना जाता है. आज भी कोरिया पैलेस को देखने दूर-दूर से लोग पहुंचते हैं.
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सरगुजा प्रखंड का भी किया गया निर्माण
पुरखौती मुक्तांगन में सरगुजा के प्रमुख पर्यटन स्थल भी बनकर तैयार हुए हैं. इसका उद्घाटन राज्य स्थापना दिवस के मौके पर होगा. छत्तीसगढ़ का शिमला कहे जाने वाले मैनपाट और सरगुजा प्रखंड के प्रमुख स्थल बनकर तैयार हो गए हैं.