रायपुर: कुंडली में नवम भाव का स्वामी जिस राशि में बैठता है, उस राशि की दिशा में भवन का मुख्य द्वार होना चाहिए. ऐसा होने से जातक को सुख मिलता है. साथ ही उस मकान से जातक को लाभ मिलता है और वो मकान जातक के लिए भाग्यवर्धक होता है. जातक उन्नति की ओर अग्रसर होता है. कुल 12 राशियों में से मेष, सिंह और धनु पूर्व दिशा के माने जाते हैं. वृषभ, कन्या और मकर राशि की दिशा दक्षिण मानी गई है. मिथुन, तुला और कुंभ राशि पश्चिम दिशा के प्रतीक हैं. कर्क, वृश्चिक और मीन राशि उत्तर दिशा के प्रतीक है.
जानिए नवम भाव में बैठी राशि का महत्व: नवम भाव में जो राशि बैठी है, उसका स्वामी कौन है और वह किस राशि में बैठा है. यही स्थान और दिशा जातक के लिए फलदायी और भाग्यशाली होता है. साथ ही आर्थिक रूप से संपन्न करने वाला भी होता है. मानसिक शांति देने वाली और उसके सुखों में वृद्धि करने वाली होती है. अतः उस जातक को जिस दिशा में उसके भाग्य स्थान का स्वामी यानी कि नवम भाव का स्वामी जहां बैठा हो उस दिशा में ही उसके भाग्य में वृद्धि होगी. यहां पर यह भी ध्यान देना चाहिए कि नवमेष या भाग्येश जिस राशि में बैठा है, उस भिन्नाष्टक वर्ग में उसके कितने बिंदु हैं. जितने ज्यादा बिंदु होंगे उतना ही वह भवन उसके लिए फलदायी होगा.