रायपुर:कोरोना काल में जब छत्तीसगढ़ डॉक्टरों की कमी से जूझ रहा है तो एक बार फिर 'जोगी मॉडल ऑफ मेडिकल एजुकेशन' (Jogi model of medical education) की चर्चा होने लगी है. तत्कालीन अजीत जोगी सरकार में शुरू हुए 'जोगी मॉडल' (Jogi model) का विरोध उनकी खुद की पत्नी और वर्तमान में JCCJ की अध्यक्ष रेणु जोगी ने भी किया था, लेकिन अब रेणु जोगी इसे ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सुविधाओं के नजरिए से काफी कारगर बता रही है. बीते दिनों इस मॉडल को पूरे देश में लागू करने के लिए उन्होंने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन (Union Health Minister Dr Harsh Vardhan) को पत्र भी लिखा था. जिस पर केंद्रीय मंत्री ने भी प्रतिक्रिया दी थी. आखिर क्या है 'जोगी मॉडल ऑफ मेडिकल एजुकेशन' (Jogi model of medical education) और इसे क्यों बंद कर दिया गया ? ये जानने की कोशिश ETV भारत ने की.
साल 2000 में जब छत्तीसगढ़ राज्य का निर्माण (Formation of Chhattisgarh State) हुआ, उस वक्त प्राकृतिक रूप से अमीर इस राज्य में विकास और अधोसंरचना के मामले में बहुत ज्यादा पिछड़ापन था. पूरे प्रदेश में सिर्फ एक मेडिकल कॉलेज रायपुर (Medical College Raipur) में स्थित था. जाहिर सी बात है कि छोटे शहरों, ग्रामीण इलाकों में डॉक्टरों की बहुत ज्यादा कमी थी. आज जब सड़कें और कनेक्टिविटी के तमाम संसाधन उपलब्ध है. तब भी ज्यादातर डॉक्टर ग्रामीण इलाकों में अपनी सेवा देने से कतराते हैं. बीते दिनों भी इसी तरह का मामला सामने आया तब स्वास्थ्य विभाग की तरफ से उन्हें ग्रामीण इलाकों में जल्द से जल्द ड्यूटी ज्वाइन नहीं करने पर ऐसे डॉक्टरों का रजिस्ट्रेशन खत्म करने की चेतावनी दी गई. जब आज ये स्थिति है तो अंदाजा लगाया जा सकता है कि 20 साल पहले छत्तीसगढ़ राज्य के गठन के समय क्या स्थिति रही होगी.
जोगी मॉडल: 3 साल का मेडिकल पाठ्यक्रम
प्रदेश में इसी कमी को दूर करने के लिए तत्कालीन अजीत जोगी सरकार (Ajit Jogi government) ने एक अनूठा फैसला करते हुए 3 साल का मेडिकल पाठ्यक्रम (3 years medical course) बनाया और इसके लिए प्रदेश में जगदलपुर, अंबिकापुर, कटघोरा, कवर्धा, कांकेर, पेंड्रा रोड में मिनी मेडिकल कॉलेज (mini medical college in chhattisgarh) खोले.
12वीं पास छात्रों के लिए3 साल का मेडिकल कोर्स
12वीं पास स्टूडेंट को 'जोगी मॉडल' के 3 साल के मेडिकल कोर्स के लिए काउंसलिंग कर चयन किया जाता था. उस समय इस कोर्स को लेकर काफी चर्चा देशभर में हुई थी. इस त्रिवर्षीय मेडिकल कोर्स में प्रदेश भर से 2400 छात्रों ने एडमिशन लिया था. हालांकि सत्ता बदलने के बाद इस कोर्स का शुरू से विरोध कर रही भाजपा ने इसे बंद कर दिया. कई छात्रों का भविष्य अधर में लटक गया था. डॉक्टर बनने का ख्वाब पाले सैकड़ों युवा खुद को ठगा महसूस कर रहे थे. इनमे से कई छात्रों ने पढ़ाई पूरी कर एक साल का इंटर्नशिप भी जिला अस्पताल में किया था. लेकिन बाद में डॉ रमन सिंह की सरकार ने इन्हें स्वास्थ्य सेवा में शामिल कराया. जोगी मॉडल के जरिए 3 साल का मेडिकल कोर्स करने वाले 1350 युवाओं को ग्रामीण चिकित्सा सहायक के रूप में पदस्थ किया.
ग्रामीण स्वास्थ्य सहायकों ने गांवों की सेहत सुधारी
छत्तीसगढ़ के सुदूर ग्रामीण इलाकों में आज स्वास्थ्य सेवा की बागडोर सही मायनों में इन्हीं ग्रामीण स्वास्थ्य सहायकों ने संभाली है. इसका सीधा असर भी अब दिखने लगा है. इनकी नियुक्ति से पहले जहां 1000 हजार में 80 नवजातों की मृत्यु हो जाती थी, वहीं अब इसमें 50 फीसदी का सुधार देखा जा रहा है. इसी तरह संस्थागत प्रसव में बढ़ोतरी, मृत्युदर में कमी कराने में इनकी बेहद अहम भूमिका है. आज कोरोना काल में भी इन्होंने मोर्चा संभाल रखा है. इस तरह से कह सकते हैं कि मेडिकल का ये जोगी मॉडल काफी सफल रहा है, लेकिन कई तकनीकी कारणों से ये आगे नहीं बढ़ पाया.
कोरोना काल में ग्रामीण चिकित्सा सहायक दे रहे सेवा