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SPECIAL: 84 साल पुराना है गोंडवाना कप टेनिस टूर्नामेंट का इतिहास

गोंडवाना कप को मिड एशिया का सबसे पुराना टेनिस टूर्नामेंट माना जाता है. गोंडवाना कप की शुरुआत अंग्रेजों के समय 1937 में हुई थी. अंग्रेजों के जमाने में यूनियन क्लब में शुरू हुए इस टूर्नामेंट का नाम गोंडवाना राजवंशों के नाम पर रखा गया. जानिए गोंडवाना कप के गौरवशाली इतिहास के बारे में.

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Published : Feb 25, 2021, 12:25 PM IST

Gondwana Cup Tennis Singles Tournament
गोंडवाना कप का गौरवशाली इतिहास

रायपुर:राजधानीरायपुर में पांच दिवसीय गोंडवाना कप टेनिस सिंगल्स टूर्नामेंट का आयोजन किया जा रहा है. इस टूर्नामेंट में 15 राज्यों के 32 खिलाड़ी हिस्सा ले रहे हैं. गोंडवाना कप को मिड एशिया का सबसे पहला टेनिस टूर्नामेंट माना जाता है. गोंडवाना कप की शुरुआत अंग्रेजों के समय 1937 में हुई थी. अंग्रेजों के जमाने में यूनियन क्लब में शुरू हुए इस टूर्नामेंट का नाम इस अंचल के गोंडवाना राजवंशों के नाम पर रखा गया. गोंडवाना कप के पहले एकल चैंपियन डीआर रुतनाम थे.

गोंडवाना कप का गौरवशाली इतिहास

गोंडवाना कप का इतिहास काफी पुराना है. 1937 में पहले टूर्नामेंट में पुरुष एकल, युगल और महिला एकल के मुकाबले हुए. महिला एकल की विजेता अंग्रेज महिला मिसेज हाइड थी. महिलाओं के लिए 1937 का मुकाबला पहला और अंतिम था. इसके बाद फिर इसमें महिलाओं को हिस्सा नहीं लेने दिया गया. जो एक परंपरा बन गई. इस टूर्नामेंट में अब तक छत्तीसगढ़ के दो खिलाड़ी रियाज लतीफ खान और एफएक्स सेंटियागो ने खिताब पर कब्जा किया है. रियाज खान 1949 और 1961 में दो बार चैंपियन रहे. जबकि एफएक्स सेंटियागो ने 1962 में इस प्रतिष्ठित टूर्नामेंट का खिताब मध्य प्रदेश (जो अब छत्तीसगढ़ है) की झोली में डाला.

गोंडवाना कप टेनिस सिंगल्स टूर्नामेंट

आज भी गोंडवाना कप का क्रेज

गोंडवाना कप का आज भी देश में काफी क्रेज है. देश के सभी टॉप टेनिस खिलाड़ी इस प्रतियोगिता में हिस्सा ले चुके हैं. इस टूर्नामेंट में केजी रमेश, नंदन बल, एनरिको पिपरनो, विशाल नायक, नरेंद्रनाथ, हरिलाल दास, जयदीप मुखर्जी आदि ने अपने खेल का जौहर दिखाया है. यही नहीं वर्ष 1969 में ऑस्ट्रेलिया के अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी बॉबकर माइकल भारत आए, तो उन्होंने इस टूर्नामेंट में हिस्सा लिया था.

रायपुर: 5 दिवसीय गोंडवाना कप टेनिस सिंगल्स टूर्नामेंट का आयोजन

गोंडवाना कप का इतिहास उतार-चढ़ाव भरा रहा

1937 से अब तक इस टूर्नामेंट में कई उतार-चढ़ाव आए हैं. इस टूर्नामेंट को वर्ष 1979 से 1986 तक बंद कर दिया गया था. इसके बाद वर्ष 1986 में रायपुर के तत्कालीन कमिश्नर शेखर दत्ता ने इस टूर्नामेंट को पूर्ण रूप से शुरू किया, लेकिन उनका यह प्रयास भी ज्यादा समय तक सफल नहीं रहा. 1990 में टूर्नामेंट दोबारा बंद कर दिया गया. अब प्रदेश के टेनिस संघ के प्रयास से इसे फिर से साल 2010 से शुरू किया गया, जो अभी तक चल रहा है. इस टूर्नामेंट में देश ही नहीं बल्कि विदेश के खिलाड़ी भी हिस्सा लेते हैं.

टूर्नामेंट से मिलता है खिलाड़ियों को सीखने का मौका

खिलाड़ी इशाक इकबाल ने बताया कि वे कोलकाता के रहने वाले हैं. पिछले 3-4 साल से गोंडवाना कप खेलने रायपुर आ रहे हैं. गोंडवाना कप खेलने में काफी मजा आता है. सभी प्लेयर का काफी अच्छे से ख्याल भी रखा जाता है. इस टूर्नामेंट को खेलने के लिए कई नेशनल और इंटरनेशनल प्लेयर भी रायपुर आते हैं. काफी अच्छा माहौल रहता है. बहुत कुछ सीखने को मिलता है.

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खिलाड़ी मोहित मयूर ने बताया कि वे पिछले 4 से 5 साल से रायपुर आ रहे हैं और गोंडवाना कप में हिस्सा ले रहे हैं. इस ऐतिहासिक टूर्नामेंट में खेलना सौभाग्य की बात है. भारत के खिलाड़ियों के लिए अच्छा मौका होता है नेशनल और इंटरनेशनल खिलाड़ियों के साथ खेलने का.

एफएक्स सेंटियागो ने जीता था कप

छत्तीसगढ़ प्रदेश टेनिस संघ के कोषाध्यक्ष लॉरेंस सेंटियागो ने बताया कि गोंडवाना कप एक प्रतिष्ठित टूर्नामेंट है. पहले जब बंगाल नागपुर रेलवे (बीएनआर) अंग्रेजों के समय चलता था, तब यह सबसे बड़ा टूर्नामेंट हुआ करता था. इसकी शुरुआत 1937 में हुई थी. उनके पिता जीएफएक्स सेंटियागो ने 1962 में इस प्रतिष्ठित टूर्नामेंट का खिताब जीता था.

उस समय के खेल में और अभी के खेल में क्या अंतर है ?

लॉरेंस सेंटियागो ने बताया कि अभी पावर टेनिस खेला जाता है. उस समय आर्टिस्टिक टेनिस खेला जाता था. लोगों को रैलियां देखने मिलती थीं. अब तो पावर गेम हो गया है. उस समय क्ले कोर्ट था. क्ले कोर्ट अभी के कोर्ट से धीमा होता है. खिलाड़ियों के लिए यह टूर्नामेंट काफी महत्वपूर्ण है. प्रतियोगिता में काफी कुछ सीखने को मिलता है. इसके साथ ही नेशनल और इंटरनेशनल लेवल के प्वाइंट्स भी इस टूर्नामेंट से जुड़ते और घटते हैं.

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