दिल की बीमारियों में क्या है अंतर,अटैक के समय बचाव के तरीके रायपुर :सीने में दर्द हुआ नहीं कि लोगों को शंका हो जाती है कहीं उन्हें हार्टअटैक तो नहीं आने वाला है, लोगों को लगता है कि हार्ट अटैक, हार्ट फेलियर और कार्डियक अरेस्ट तीनों एक ही है. अगर इनमें से कुछ भी आता है तो उनकी जान जा सकती है. कई बार तो मरीज दहशत में ही अपनी जान को जोखिम में डाल देता है. जबकि उन्हें समान उपचार से भी बचाया जा सकता है.
हार्ट अटैक, हार्ट फेलियर और कार्डियक अरेस्ट में अंतर :डॉक्टर स्मित श्रीवास्तव की माने तो''अक्सर जन सामान्य में इस बारे में बड़ी भ्रांतियां रहती हैं. शरीर में दिल की बीमारी से संबंधित ये तीन चीजें क्या हैं. इन तीनों ही लक्षणों को लोग एक ही मानते हैं. किसी को लगता है कि हार्ट फेल गया, तो हार्ट अटैक आ गया है, या कार्डियक अरेस्ट हो गया है तो हार्टअटैक हो गया है.
तीनों चीजें अलग है, एक तरह से समझे तो हार्ट एक पंप है और उस पम्प का पहला कर्तव्य ओर कार्य है कि वह हार्ट से ब्लड को पंप करें और समुचे शरीर को सप्लाई करें.ऐसा करने के लिए पंप को स्वयं भी एक पेट्रोल लगता है.अपने लिये भी एनर्जी लगती है.उसकी खुद की पाइपलाइन होती है.जिससे उस पंप को ब्लड पहुंचता है. उसको सारा न्यूट्रिशन मिलता है. जिससे वह काम करता है. तीसरा इसका रहता है इलेक्ट्रिकल पाथवे, इलेक्ट्रिकल सर्किट रहता है जिसमें करंट दौड़ता है तभी यह पम्प काम करता है.''
क्या होता है हार्ट अटैक : ''हार्ट अटैक होता है तो हार्ट को स्वयं को पहुंचाने वाली ब्लड सप्लाई करने वाली जो नसें हैं. उनमें कहीं ब्लॉकेज हो जाता है. वह बंद हो जाती है. जिससे हार्ट को खुद ही ब्लड नहीं मिल पाता. ऐसी स्थिति को हार्टअटैक कहते हैं. जिसमें हार्ट का एक हिस्सा काम करना बंद कर देता है. क्योंकि उसको पर्याप्त पेट्रोल या फ्यूल नहीं मिलता है और यह ब्लॉकेज के कारण होता है.''
हार्ट अटैक का बेहतर उपचार : ''हार्ट अटैक एक इमरजेंसी की बात होती है. जिसमें हार्ट की नस ब्लॉक हो जाती है. इससे हार्ट की मांसपेशियां मरना चालू करती हैं. अगर हम इस मरीज को सही समय से किसी डॉक्टर तक पहुंचा सकते हैं. उस मरीज को थक्का या ब्लॉकेज खोलने की दवा दी जाये या तुरंत एंजियोप्लास्टी या स्टेंट लगाया जाये .तो इस मरीज के हार्ट को होने वाले नुकसान से हम बचा सकते हैं. इस प्रकार हार्ट अटैक का उपचार किया जा सकता है.''
क्या है हार्ट फेलियर : ''हार्ट फेलियर मांसपेशियों की कमजोरी होती है. क्योकि जो पंप होता है उसको चलाने के लिए जो ताकत लगती है. वह मांसपेशियां जनरेट करती है. इसमें वह मांसपेशियां अगर कमजोर हो जाती है तो वह हार्ट का काम नहीं कर पाती है. जैसे मैंने पहले बताया कि वो पंप करना उसका प्रथम कार्य है. वह कार्य वह पूरी तरह से नहीं कर पाती. इसे हम हार्ट फेलियर बोलते हैं. यानी हार्ट का अपने काम करने में फेल होना हार्ट फेलियर है.''
हार्ट फेलियर से पहले लक्षण :ऐसे मरीजों को सांस फूलती है. चलने में दिक्कत होती है ,क्योंकि उसके समूचे शरीर को ब्लड की सप्लाई कम मिल रही है. हार्ट अटैक में सिर्फ हार्ट को ब्लड की सप्लाई कम मिलती है.
कैसे होता है हार्ट फेल का उपचार :डॉक्टर स्मित श्रीवास्तव की माने तो''जो हार्ट फैलियर हैं इसमें समय मिलता है .इसमें हार्ट का कुछ हिस्सा या यह समूचा हार्ट पंप नहीं कर रहा होता है. इसमें 2010-2013 से बहुत अच्छी दवाइयां भी ईजाद हुईं हैं. जिनसे हार्ट फेलियर के मरीजों को काफी लंबा जीवन मिल रहा है. कुछ डिवाइसेज भी हैं. जिससे हम हार्ड के संकुचन को नियंत्रित कर सकते हैं. जिसको सीआरटीबी भी कहते हैं. यह हार्ट की मांसपेशियों की कमजोरी वाले मरीजों में लगाने से उसके हार्ट को मजबूत किया जा सकता है. फाइनली हार्ट ट्रांसप्लांट छत्तीसगढ़ में होने लगा है. यह ट्रांसप्लांट से भी हम किसी को नया हार्ट दे सकते हैं और नया जीवन दे सकते हैं.''
क्या होता है कार्डियक अरेस्ट : ''इसमें हार्ट में कोई भी इलेक्ट्रिकल एक्टिविटी यानी उनके सर्किट में कोई विद्युत की कार्रवाई नहीं होती. ना हार्ट संकुचित होकर ब्लड को पंप कर रहा होता है. हार्ट स्टैंड स्टिल में आ गया होता है. बिल्कुल मृतप्राय होकर कोई भी काम नहीं कर रहा होता है. उसमें कोई संकुचन नहीं होता है उस स्थिति को कार्डियक अरेस्ट कहते हैं.''
कार्डियक अरेस्ट में कैसे करें मरीज का बचाव :डॉक्टर स्मित श्रीवास्तव के मुताबिक''कार्डियक अरेस्ट में हमारे पास में ज्यादा समय नहीं होता. हमारे पास समझ लीजिए 2 से 15 मिनट होते हैं.जिसमें मरीज को बचा सकते हैं. इसलिए इसमें जनसामान्य को भी दक्ष होना जरूरी है. इसमें कार्डियक अरेस्ट में या तो मरीज के सीने में मुक्का मारते हैं. उसको प्रेशर देते हैं. कंप्रेस करते हैं. ये कार्रवाई मरीज के बेहोश होने पर या कार्डियक अरेस्ट होने पर एक दो मिनट के अंदर शुरू कर देनी चाहिए. तभी ब्रेन, हार्ट और किडनी को ब्लड पहुंच पाएगा. इसमें जन सामान्य की इसलिये भागीदारी बहुत महत्वपूर्ण हो जाती है क्योंकि आसपास वही लोग ज्यादा होते हैं.डॉक्टर को पहुंचने में समय लगता है. 100 में से समझ लीजिए 9 मरीज ही डॉक्टर तक पहुंच पाते हैं. 91 मरीज नहीं पहुंच पाते हैं.''
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युवा भी हो रहे हैं हार्ट अटैक के शिकार :डॉक्टर स्मित श्रीवास्तव ने कहा कि''यदि सामान्य तौर पर देखा जाए तो जो हमारे अस्पताल में मरीज आते, उसमें एक तिहाई मरीज 35 वर्ष से 40 वर्ष के नीचे होते हैं. जो काफी बड़ी संख्या है. यही 10 या 20 वर्ष पूर्व बहुत कम मरीज इस आयु वर्ग के आते थे. उस समय तो शायद 35 साल के नीचे किसी के सीने में दर्द होता. हार्ट अटैक की संभावना डॉक्टरों और मरीज दोनों ही व्यक्त नहीं करते थे. लेकिन आज ऐसा नहीं रहा. 18 साल से 20 साल की रेंज में भी बहुत सारे हार्ट अटैक के मरीज आ रहे हैं.''