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विवाह मुहूर्त के सबसे बड़े और अहम पल कौन से हैं जानिए

15 नवंबर देव जागरण एकादशी (Dev Jagran Ekadashi) के बाद से विवाह के शुभ मुहूर्त (auspicious time for marriage) प्रारंभ हो जाते हैं. 20 नवंबर, 21 नवंबर, 28 नवंबर और 30 नवंबर यह विवाह के प्रमुख मुहूर्त हैं. इसी तरह दिसंबर महीने में 1, 7, 11, और 13 दिसंबर को विवाह के शुभ मुहूर्त रहेंगे.

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Published : Nov 23, 2021, 6:38 PM IST

Updated : Nov 23, 2021, 9:47 PM IST

vivah muhurta
विवाह मुहूर्त

रायपुर:सनातन परंपरा में कोई भी शुभ कार्य मुहूर्त देखकर किया जाता है. इन मुहूर्त को देखने के पीछे कार्य की सफलता, शुभता और ईश्वर का अनुग्रह प्राप्त करने की मंशा रहती है. जिससे किए जाने वाले सभी कार्य अपने संपूर्ण फल को प्राप्त होते हैं. भारतवर्ष ऋषि और कृषि प्रधान देश रहा है. भारत में सभी आयोजन ऋतु परिवर्तन, अनुकूल मौसम, अनुकूल मुहूर्त, शुभ ग्रह दशा को देखकर किए जाते हैं ताकि उच्च स्तर का फल प्राप्त हो. विवाह संस्कार (Marriage rituals) एक बहुत ही महत्वपूर्ण संस्कार माना गया है, इसमें दो आत्माओं का शुभ मिलन होता है. साथ ही दो भिन्न परिवार, भिन्न संस्कृतियों का समागम होता है. इसलिए इस शुभ कार्य में मुहूर्त कि सावधानी रखना अति आवश्यक माना गया है.

विवाह मुहूर्त

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नवंबर महीने के विवाह के शुभ मुहूर्त (Auspicious Time for Marriage)

15 नवंबर देव जागरण एकादशी के बाद से विवाह के शुभ मुहूर्त प्रारंभ हो जाते हैं. 20 नवंबर, 21 नवंबर, 28 नवंबर और 30 नवंबर यह विवाह के प्रमुख मुहूर्त हैं. इसी तरह दिसंबर महीने में 1, 7, 11, और 13 दिसंबर को शुभ विवाह के मुहूर्त रहेंगे. 28 नवंबर को आंवला नवमी सर्वार्थ सिद्धि योग रवि योग आदि शुभ मुहूर्त बन रहे हैं. इसलिए यह परम योगकारक है. 30 नवंबर 2021 को कुल 3 शुभ मुहूर्त हैं. जिसमें विवाह किया जा सकता है. इस दिन एकादशी त्रिपुष्कर योग, हस्त नक्षत्र आयुष्मान योग का सुंदर योग बन रहा है. इस दिन कन्या राशि में चंद्रमा विद्यमान रहेगा. स्वामी योग इस मुहूर्त को और बल प्रदान कर रहा है.

दिसंबर महीने के विवाह के शुभ मुहूर्त

दिसंबर महीने में 1 दिसंबर 2021 को बुधवार को सुंदर विवाह संयोग बन रहा है. स्वाति नक्षत्र, सौभाग्य योग काल, दंड योग मुहूर्त में विवाह करना अत्यंत शुभ है. 7 दिसंबर 2021 मंगलवार उत्तराषाढ़ा नक्षत्र अभिजीत मुहूर्त में विवाह करना बहुत ही योगकारक है. ऐसी मान्यता है कि अभिजीत मुहूर्त में ही मर्यादा पुरुषोत्तम रामचंद्र जी का जन्म हुआ था. जिस दिन अंगारक चतुर्थी, विनायक चतुर्थी के साथ रवि योग भी बन रहा है. इस दिन वृद्धि योग शुभ मानस योग का भी प्रभाव है. प्रातः काल से ही चंद्रमा मकर राशि में रहेंगे. श्री राम जानकी विवाह उत्सव के पूर्व की शुभ बेला में यह मुहूर्त बहुत उत्तम है.11 दिसंबर 2021 को दुर्गा अष्टमी के दिन रवि योग के प्रभाव में शुभ अभिजीत मुहूर्त में विवाह के सुंदर योग हैं.

वहीं शनिवार का मुहूर्त वैवाहिक जीवन को मजबूती प्रदान कर रहा है. इस दिन वज्र और सिद्धि योग का प्रभाव रहेगा. दुर्गा अष्टमी अपने आप में एक पवित्र दिन माना जाता है. 13 दिसंबर 2021 यह इस वर्ष का अंतिम शुभ मुहूर्त माना गया है. इस दिन रेवती नक्षत्र, चंद्रभान, मीन राशि, रवि योग का सुंदर संयोग बन रहा है. यह विवाह के साथ-साथ नामकरण, अन्नप्राशन, डोला रोहन वाणिज्य शिल्प प्रारंभ करने के लिए भी उत्तम माना गया है. सोमवार को योग मातंग योग इसे सुशोभित कर रहे हैं.

खरमास लगने पर विवाह मुहूर्त पर ब्रेक

16 दिसंबर 2021 से खरमास प्रारंभ हो जाएंगे. यहां से लेकर 14 जनवरी 2022 तक विवाह मुहूर्त नहीं रहेंगे. इन्हे खरमास कहा जाता है. इस समय विवाह कार्य वर्जित माने जाते हैं. इसी तरह लगभग 15 मार्च 2022 से 14 अप्रैल 2022 के बीच पुनः खरमास लगेगा. इस समय विवाह मुहूर्त नहीं रहेंगे. सूर्य ग्रह का आगमन धनु और मीन राशि में होने पर विवाह नहीं होते हैं. इसी तरह गुरु अथवा शुक्र के अस्त होने पर भी विवाह मुहूर्त में प्रभाव पड़ता है. विवाह करते समय गौदान आदि का विशेष ध्यान रखना चाहिए.

विवाह के पांच महत्वपूर्ण पल (Five important moments of marriage )

शुभ विवाह, लग्न की स्थापना करना

सगाई अथवा लग्न की बेला में वर और कन्या पक्ष दोनों मिलकर विद्वान आचार्य के द्वारा दोनों की कुंडलियों का निर्धारण कर शुभ विवाह के एक मुहूर्त पर पहुंचते हैं. जो कि वर और कन्या दोनों के लिए ही अनुकूल हो. इसमें यह ध्यान रखा जाता है विवाह के मुहूर्त के समय सूर्य की स्थिति वर्ग की कुंडली से चौथे, आठवें या बारहवें भाव में ना हो. इसे विशेष रूप से पूर्ण सावधानी के साथ देखा जाना चाहिए. यह विवाह प्रकरण का सबसे महत्वपूर्ण पल होता है.

मंडपाछादन कब करें ?

मंडप को मंदिर की भांति माना गया है. सारे विवाह कार्य इसी मंडप में ही होते हैं. इसलिए इसे शुभ मुहूर्त में करना चाहिए. यह विवाह संस्कार का बहुत ही अभिन्न पल माना गया है.

तेल पूजन एवं हरिद्रा लेपन

मंडप की स्थापना के पश्चात देवी देवताओं का पूजन कर विधान पूर्वक तेल पूजन किया जाना चाहिए. हरिद्रा लेपन अर्थात वर वधु को हरिद्रा लेपन करना बहुत ही शुभ माने गए हैं.

सप्तपदी का विधान

सात फेरे, विवाह संस्कार में अग्नि के समक्ष सात फेरे लिए जाते हैं. इन फेरों में वर और वधू एक दूसरे को वचन देते हैं और उन वचनों के प्रति वचनबद्ध होने का प्रण करते हैं. यह एक बहुत ही निर्णायक पल माना गया है.

पानी ग्रहण

एक पिता जीवन भर कन्यादान के मुहूर्त का इंतजार करता है. विवाह संस्कार में पानी ग्रहण अथवा कन्यादान का वह पल बहुत ही भावनात्मक और संवेदनशील होता है. इस विधान में उदारता पूर्वक पिता अपनी कन्या का हाथ अपने जमाई के हाथ में देता है.

Last Updated : Nov 23, 2021, 9:47 PM IST

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