रायपुर:छत्तीसगढ़ में अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति ने केंद्र सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया. किसानों का कहना है कि केंद्र सरकार ने जो अध्यादेश लाया है, वो किसान विरोधी है. 25 से ज्यादा किसान संगठन के लोगों ने छत्तीसगढ़ के 20 जिलों में विरोध प्रदर्शन किया है.
छत्तीसगढ़ में केंद्र सरकार के खिलाफ किसानों का धरना-प्रदर्शन समन्वय समिति से जुड़े संगठन के हजारों लोगों की उपस्थिति में एक विशाल धरना-प्रदर्शन किया गया है. विरोध-प्रदर्शन के दौरान छत्तीसगढ़ किसान सभा के नेता संजय पराते ने केंद्र सरकार पर कई आरोप लगाए हैं. उन्होंने कहा कि कृषि विरोधी अध्यादेशों का असली मकसद न्यूनतम समर्थन मूल्य और सार्वजनिक वितरण प्रणाली की व्यवस्था से छुटकारा पाना है. देश का जनतांत्रिक विपक्ष-किसान और आदिवासी इन कानूनों का इसलिए विरोध कर रहे हैं.
छत्तीसगढ़ में केंद्र सरकार के खिलाफ किसानों का विरोध प्रदर्शन किसानों और ग्रामीण गरीबों की बर्बादी का कानून
किसान संगठनों का कहना है कि केंद्र सरकार की नीतियों से खेती की लागत महंगी हो जाएगी. फसल के दाम गिर जाएंगे. कालाबाजारी और मुनाफाखोरी बढ़ जाएगी. कार्पोरेट का कृषि व्यवस्था पर कब्जा हो जाएगा. ऐसे में खाद्यान्न आत्मनिर्भरता भी खत्म हो जाएगी. यह किसानों और ग्रामीण गरीबों की बर्बादी का कानून है.
किसानों की प्रमुख मांगें
- केंद्र सरकार से पर्यावरण आंकलन मसौदे को वापस लेने की मांग
- कोरोना संकट के मद्देनजर ग्रामीण गरीबों को मुफ्त खाद्यान्न देने की मांग
- कोरोना काल में नकद राशि से मदद करने की मांग
- मनरेगा में 200 दिन काम और 600 रुपये रोजी
- व्यावसायिक खनन के लिए प्रदेश के कोल ब्लॉकों की नीलामी पर रोक
- नगरनार स्टील प्लांट का निजीकरण रद्द करने की मांग
- बैंकिंग और साहूकारी कर्ज के जंजाल से मुक्त करने की डिमांड
- आदिवासियों और स्थानीय समुदायों को जल-जंगल-जमीन का अधिकार
- पेसा कानून का क्रियान्वयन करने की भी मांग की गई
बता दें, विरोध प्रदर्शन के दौरान छत्तीसगढ़ किसान सभा, आदिवासी एकता महासभा, छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन, हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति, राजनांदगांव जिला किसान संघ, छग प्रगतिशील किसान संगठन, दलित-आदिवासी मंच, क्रांतिकारी किसान सभा, छग किसान-मजदूर महासंघ, छग प्रदेश किसान सभा, जनजाति अधिकार मंच, छग किसान महासभा, छमुमो (मजदूर कार्यकर्ता समिति), परलकोट किसान संघ, अखिल भारतीय किसान-खेत मजदूर संगठन, वनाधिकार संघर्ष समिति, धमतरी आंचलिक किसान सभा के लोग शामिल हुए.