रायपुर:छत्तीसगढ़ के 5 आयोगों के अध्यक्षों को कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया गया है. इनमें राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष किरणमयी नायकऔर राज्य गौ सेवा आयोग के अध्यक्ष महंत राम सुंदर दास के नाम शामिल हैं. इनके अलावा राज्य अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष महेंद्र सिंह छाबड़ा, राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष थानेश्वर साहू, छत्तीसगढ़ राज्य खाद्य आयोग के अध्यक्ष गुरूप्रीत सिंह बाबरा को कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया गया है.
5 आयोग के अध्यक्षों को कैबिनेट मंत्री का दर्जा किरणमयी ने बताई आयोग की प्राथमिकता
राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष किरणमयी नायक ने मुख्यमंत्री समेत संगठन का आभार जताते हुए कहा कि सरकार और संगठन ने उनकी योग्यता समझी. महिला आयोग की प्राथमिकता के प्रश्न पर जवाब देते हुए उन्होंने बताया कि जन जागृति की आवश्यकता है. कोविड खत्म होते ही आयोग महिला अधिकारों के प्रति जागरूक करने के लिए वे केम्पैन चलाएगी. इसके साथ ही महिला कानूनों का दुरुपयोग न हो यह भी देखेंगी.
कैबिनेट मंत्री का मिला दर्जा
छत्तीसगढ़ में राज्य स्थापना के बाद से पहली बार आयोग के अध्यक्षों को कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया गया है. साथ ही 15 जुलाई को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 15 संसदीय सचिवों को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई थी. संसदीय सचिव की नियुक्ति में भाजपा के बड़े नेताओं को हराने वाले विधायकों को प्राथमिकता दी गई थी. सिर्फ दो विधायकों चिंतामणि महाराज और पारसनाथ राजवाड़े को छोड़कर बाकी पहली बार विधायक बने हैं.
संसदीय सचिव बनाए गए विधायकों में रायपुर संभाग के 5, सरगुजा के 4 , दुर्ग के 3 , बस्तर के 2 और बिलासपुर का 1 विधायक शामिल हैं. संसदीय सचिव बनाकर युवाओं को मौका देने के साथ मंत्रिमंडल में आए क्षेत्रीय असंतुलन को साधने की कोशिश की गई है. 14 विधायकों वाले सरगुजा से 3 मंत्री हैं. यहां से 4 विधायकों को संसदीय सचिव बनाया गया है. रायपुर संभाग की 20 में से 14 सीट कांग्रेस के पास है. यहां से एक मंत्री और एक विधानसभा उपाध्यक्ष है. अब 2 संसदीय सचिव बने हैं.