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किरणमयी नायक ने महिला उत्पीड़न के कई केस में आयोग कार्यालय में की सुनवाई - पंजीकृत प्रकरणों पर सुनावाई

छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष किरणमयी नायक ने पंजीकृत प्रकरणों में आयोग कार्यालय में सुनवाई कर रही हैं. इस दौरान उन्होंने विभाग के अधिकारियों को कई अहम निर्देश भी दिये हैं.

Kiranmayi Nayak
किरणमयी नायक

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Published : Nov 11, 2020, 12:18 PM IST

रायपुर:छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष किरणमयी नायक ने रायपुर जिले के पंजीकृत प्रकरणों में रायपुर के आयोग कार्यालय में सुनवाई की. किरणमयी नायक ने एक प्रकरण में पत्रकार अनावेदक (Journalist investigator) ने आवेदिका महिला के संबंध में कांकेर के साप्ताहिक समाचार पत्र में महिला के लिए अपमानजनक शब्दों का प्रयोग करने को सही पाए जाने पर आरोपी को जेल भेजने के आदेश दिए हैं.

पत्रकार हर 15 दिन में महिला को अपमानित और बदनाम करने के नियत से समाचार प्रकाशित करता था और महिला के निवास स्थान के मोहल्ले में समाचार पत्र का वितरण भी करवाता था. इससे एक महिला के सम्मान को ठेस पहुंची है. आयोग ने दोनों पक्षों को सुना गया. इस सुनवाई की विडियोग्राफी भी की गई. सुनवाई के बाद समाचार पत्र का पंजीयन रद्द करने के लिए रजिस्ट्रार, न्यूज पेपर ऑफ इंडिया (RNI) को भेजा गया है. इसके साथ ही महिला को अपमानित करने के लिए जितने बार समाचार प्रकाशित किया गया है. उतनी बार एफआईआर करने के निर्देश दिए गए हैं.

राशि न लौटाने के मामले में भी सुनवाई

एक और मामले में शिकायतकर्ता महिला के पति ने अपनी सेवानिवृत्त के बाद मिली राशि को अपनी सहकर्मी को उधार में दे दी थी, लेकिन जब बाद में अपने रुपये वापस मांगे तो सहकर्मी ने देने से मना कर दिया. जिसके सदमे से उसकी मौत हो गई. आयोग ने कार्रवाई कर महिला को 8 लाख 24 हजार 261 रुपये राशि वापस दिलाने के निर्देश दिए हैं. आयोग ने पुलिस अधीक्षक दुर्ग से प्रकरण की शिकायत की कॉपी और नोटशीट की कॉपी मांगी है.

पढ़ें: राज्य महिला आयोग ने सरकार से की अपर कलेक्टर को सस्पेंड करने की अनुशंसा

पति-पत्नी विवाद के मामले में कार्रवाई
इसी तरह एक अन्य मामला लव मैरिज का था, जिसमें लड़की और उसका प्रेमी पति पहुंचा था. केस में युवती का आरोप है कि उसके प्रेमी पति ने शादी के समय जाति छुपाकर शादी की है. इसलिए वो उससे अलग होना चाहती है, लेकिन पति ने शादी का दस्तावेज और बच्चों के बर्थ सर्टिफिकेट देने से मना कर दिया. जिसे लेकर महिला ने आयोग में शिकायत दर्ज कराई थी. पति ने शादी का सर्टिफिकेट और अपने बच्ची का बर्थ सर्टिफिकेट अपने पास होने की बात कही है. इस मामले में भी आयोग ने सुनवाई की है.

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