छत्तीसगढ़

chhattisgarh

ETV Bharat / state

Raipur News: शिक्षक उत्तम देवांगन बने द्रोणाचार्य, रायपुर में मछुआरों के बच्चे बोल रहे फर्राटेदार अंग्रेजी

रायपुर के शासकीय नवीन प्राथमिक शाला पठारीडीह में मछुआरों के बच्चे फर्राटेदार अंग्रेजी बोल रहे हैं. ये बच्चे कम्प्यूटर चलाने में भी एक्सपर्ट हैं. इन बच्चों को शिक्षक उत्तम देवांगन ने न सिर्फ अंग्रेजी बोलने और पढ़ने में स्मार्ट बनाया है बल्कि इस स्कूल में शिक्षा प्रणाली को भी स्मार्ट बना दिया है.Raipur News

Government New Primary School Patharidih
शासकीय नवीन प्राथमिक शाला पठारीडीह

By

Published : Mar 24, 2023, 6:04 AM IST

शासकीय नवीन प्राथमिक शाला पठारीडीह

रायपुर:अक्सर सरकारी स्कूलों की बदहाली के किस्से हम सुनते रहते हैं. छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के अंतिम छोर खारुन नदी के तट पर स्थित पठारीडीह गांव का एक सरकारी स्कूल सबसे अलग और खास है. रायपुर के शासकीय नवीन प्राथमिक शाला पठारीडीह स्कूल में मछुआरों के बच्चे पढ़ते हैं. ये बच्चे न सिर्फ फर्राटेदार अंग्रेजी बोलते हैं बल्कि कम्प्यूटर के की बोर्ड पर भी इनकी उंगलियां काफी तेजी से चलती है. इन बच्चों के लिए स्कूल के शिक्षक उत्तम देवांगन द्रोणाचार्य से कम नहीं हैं. उत्तम ने ही इस स्कूल के साथ-साथ बच्चों को भी स्मार्ट बनाया है.

उत्तम इन बच्चों को सरकारी स्कूल में स्मार्ट स्कूल की तरह शिक्षा दे रहे हैं. इन बच्चों के माता पिता मछुआरे हैं, जिन्होंने कभी कम्प्यूटर का सपना तक नहीं देखा था. लेकिन इनके बच्चे कम्प्यूटर को ऐसे चलाते हैं, जैसे कोई जानकार चला रहा हो. इन बच्चों की उंगलियां कम्प्यूटर के की बोर्ड पर बेझिझक दौड़ती है.

वरदान बनकर आए शिक्षक: रायपुर के अंतिम छोर खारुन नदी के तट पर पठारीडीह गांव है. गांव की जनसंख्या करीब 2 हजार है. नदी के तट पर स्थित होने के कारण यहां लगभग 90 फीसद मछुआरे निवास करते हैं. इन मछुआरों के बच्चों के लिए स्कूल के शिक्षक उत्तम देवांगन एक वरदान बनकर आए.

ऐसे बदली स्कूल की तस्वीर:राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक उत्तम देवांगन कहते हैं कि "स्कूल में केवल एक कंप्यूटर था. मुझे कम्प्यूटर पर काम करता देख बच्चों की जिज्ञासा बढ़ी. बच्चे कहते थे कि हमें भी सिखाओ. ऐसे में सबसे पहले एक कंप्यूटर अपने पैसे से खरीदकर स्कूल में लाया. उसके बाद बच्चों को सिखाने लगा, लेकिन ज्यादा बच्चे और कम्प्यूटर एक होने की वजह से दिक्कतें आने लगी. ऐसे में बच्चों के अभिभावकों से मदद ली गई. मदद मिलने के बाद सोचा कि स्कूल को और बेहतर किया जा सकता है. ऐसे में उनकी मदद मिलती गई. कुछ पैसे अपनी जेब के और कुछ ग्रामीणों के सहयोग से मिले. जिसके बाद स्मार्ट क्लास बन कर तैयार हो गई. यहां पहली से लेकर पांचवी तक कक्षा लगती है."

यह भी पढ़े:National Para Athletics: छत्तीसगढ़ की दिव्यांग छोटी मेहरा और सुखनंदन ने जीता गोल्ड

क्या कहते हैं मछुआरे:मछुआरा समुदाय के योगेश्वर निषाद बताते हैं कि " बच्चों का रिजल्ट देखा तो लगा कि यह सर हमारे लिए कुछ बेहतर कर सकते हैं. हमारे बच्चों का भविष्य संवार सकते हैं."

जनप्रतिनिधियों का मिला सहयोग:शिक्षक उत्तम देवांगन की स्कूल को बेहतर बनाने की सोच और उनके संघर्ष को अब न केवल ग्रामीणों का बल्कि जनप्रतिनिधियों का भी सहयोग मिलने लगा है. गांव की जनप्रतिनिधि योगिता निषाद कहती हैं कि "हम लोगों को बहुत अच्छा लग रहा है कि हमारे बच्चे अच्छी शिक्षा ले रहे हैं. प्रदेश के किसी भी कोने के शासकीय स्कूल में उतनी बेहतर शिक्षा नहीं दी जाती होगी, जितनी अच्छी शिक्षा हमारे गांव के स्कूल में दी जा रही है. इसका पूरा श्रेय शिक्षक उत्तम कुमार देवांगन को जाता है. यही वजह है कि उनको राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिला है. उन्हीं के माध्यम से आज स्कूल के तमाम क्लास स्मार्ट क्लास में तब्दील हो पाए हैं."

ABOUT THE AUTHOR

...view details