रायपुर : प्रशासन की कथनी और करनी में फर्क देखना हो, तो आप राजधानी रायपुर में बहने वाली जीवनदायिनी खारून नदी को देख सकते हैं. प्रशासन का दावा है कि नदी को प्रदूषण से बचाने के लिए मूर्ति विसर्जन के लिए अलग से कुंड का निर्माण कराया गया है, लेकिन दावा तो दावा है.
रायपुर की जीवनदायिनी नदी खारून प्रदूषित जिम्मेदारों ने कहा था कि मूर्ति विसर्जन के बाद पानी को स्वच्छ कर इसे खारून नदी में छोड़ा जाएगा, लेकिन मूर्ति विसर्जन के बाद कुंड से पानी को सीधे पाइप लाइन के जरिए नदी में छोड़ा जा रहा है.
जल प्रदूषण इन दिनों शहर ही नहीं दुनिया की सबसे बड़ी समस्या है, जिसे रोकने के लिए वैश्विक स्तर पर कई तरह के उपाय किए जा रहे हैं. इसी के तहत रायपुर में पानी को प्रदूषण से बचाने के लिए कृत्रिम कुंड बनाया गया था, लेकिन निगम के जिम्मेदारों की लापरवाही से तमाम कोशिशों पर एक बार फिर पानी फिरता नजर आ रहा है. जिम्मेदार पानी को साफ करने के लिए पानी में फिटकरी डाल अपनी जिम्मेदारी से मुक्त हो गए.
इधर, रसायन शास्त्र के जानकार कहते हैं कि इस तरह के कैमिकलयुक्त पानी को महज फिटकरी डालकर स्वच्छ नहीं किया जा सकता है क्योंकि मूर्तियों में कलर के साथ कई प्रकार के कैमिकल भी मिले होते हैं.