रायपुर: छत्तीसगढ़ का किला फतह करने के लिए बीजेपी और कांग्रेस दोनों ने ताबड़तोड़ चुनाव प्रचार की रणनीति बनाई थी. बीजेपी की रणनीति अमित शाह के माइक्रो मैनेजमेंट के चलते पास हो गई. कांग्रेस की रणनीति धरी की धरी रह गई. बीजेपी के स्टार प्रचारकों ने जहां चुनाव की तारीखों का ऐलान होते ही मोर्चा संभाल लिया. कांग्रेस सीटों को क्लीयर करने के उधेड़बुन में कई दिनों तक पड़ी रही. भारतीय जनता पार्टी ने जो शुरुआती माइलेज प्रचार में लिया उसे अंत तक जारी रखा. प्रचार की महाकवरेज की कमान खुद अमित शाह और नरेंद्र मोदी ने संभाली. बीजेपी को इसका भारी फायदा भी हुआ. कांग्रेस के प्रचार की अभियान गांधी परिवार और मल्लिकार्जुन खड़गे के इर्द गिर्द ही घूमती रही. वोटर भी ऐसे प्रचारक और स्पीच देने वाले नेता का भाषण सुनना चाहते हैं जिसमें स्पार्क हो. पीएम से लेकर अमित शाह, हिमंता विश्व सरमा से लेकर योगी आदित्यनाथ तक जब भाषण देते हैं तो सुनने वाला वक्त का हिसाब नहीं रखता. कांग्रेस के नेताओं में ऐसे प्रचारकों और भाषण देने वालों की लंबे वक्त से कमी है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी:पीएम ने छत्तीसघढ़ में 6 चुनावी सभाओं को संबोधित किया. रायपुर से लेकर बस्तर तक मोदी ने नाप दिया. मोदी की जितनी भी सभाएं छत्तीसगढ़ में हुई उसमें ऐतिहासिक भीड़ जुटी. लोग पंडाल और मैदान के बाहर तक भाषण सुनने के लिए घंटों धूप में खड़े रहे. खुद मोदी को बिलासपुर में माफी भी मांगनी पड़ी थी. मोदी ने कहा था कि जितने लोगों का भाषण सुनने के लिए हमने पंडाल लगाया था वो कम पड़ गया इसके लिए मैं खुद माफी मांगता हूं.
अमित शाह:प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी ज्यादा रैलियां छत्तीसगढ़ में अमित शाह ने की. अमित शाह 9 बार छत्तीसगढ़ के दौरे पर आए. रायपुर से लेकर जगदलपुर तक अमित शाह ने प्रचार का कार्यकर्ताओं में जोश का तूफान भर दिया.