रायपुर:आज पूरे छत्तीसगढ़ में हलषष्ठी का पर्व खमरछठ बड़े ही धूमधाम से मनाया जा रहा है. इस पर्व में मां अपनी संतान की सुख-समृद्धि और उन्नति के लिए व्रत रखती हैं. हलषष्ठी का पर्व कृष्ण पक्ष की षष्ठी को मनाया जाता है.
छत्तीसगढ़ में धूमधाम से मनाया जा रहा है हलछठ
छत्तीसगढ़ में हलषष्ठी यानी खमरछठ पर मां अपनी संतान की सुख-समृद्धि और उन्नति के लिए व्रत रखती हैं. इस दिन रत रखकर महिलाएं इस दिन बिना हल चले हुए पसहर चावल के साथ सब्जी भाजी का उपयोग करती हैं और इस व्रत में भैंस के दूध, घी, और दही का सेवन करती हैं.
खमरछठ को बलदाऊ के जन्मदिन के रूप में भी मनाया जाता है. आज के दिन ही भगवान कृष्ण ने जन्म लेने के बाद अपने मामा कंस का वध किया था. इस पर्व के दिन महिलाएं व्रत रखकर पूजा-अर्चना करती हैं. व्रत रखकर महिलाएं इस दिन बिना हल चले हुए पसहर चावल के साथ सब्जी भाजी का उपयोग करती हैं और इस व्रत में भैंस के दूध, घी, और दही का सेवन करती हैं.
षष्ठी का व्रत रखकर सरगी जिसे गड्ढा कहा जाता है, उसमें महिलाएं एकसाथ पूजा अर्चना कर अपनी संतान की सुख समृद्धि और उन्नति के लिए भगवान से प्रथर्ना करती है.
ज्योतिषाचार्य अरुणेश शर्मा ने बताया कि हलषष्ठी व्रत के पूजा अर्चना के लिए कोई विशेष मुहूर्त नहीं है. इसके लिए दिन-भर का समय शुभ माना गया है और सूर्यास्त से पहले महिलाएं हलषष्ठी का व्रत रखने के साथ पूजा-अर्चना संपन्न करने के बाद मां बिना हल चलाए हुए पसहर चावल के साथ सब्जी और भैंस के दूध, दही, घी से बनी सामग्री को ग्रहण कर अपने उपवास को तोड़ती हैं.