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ज्योतिष को दक्षिणा देना उचित है या अनुचित, क्या कहता है ज्योतिष शास्त्र? आइये जानते हैं - Raipur News

Jyotish Shastra ज्योतिष शास्त्र हमेशा से ही लोगों के बीच कौतूहल का विषय रहा है. अक्सर लोग अपने निकट भविष्य के बारे में जानने के लिए ज्योतिषियों के पास जाते हैं. कई ज्योतिष तो इसके लिए अच्छी कासी फीस भी लेते हैं, तो कुछ ज्योतिष जातकों के हैसियत अनुसार दक्षिणा लेते हैं. इस बीच एक सवाल मन में जरूर उठता है कि ज्योतिष को दक्षिणा देना उचित है या अनुचित. आज हम आपको इसी बारे में विस्तार से जानकारी देने जा रहा है. Raipur News

Jyotish Shastra
ज्योतिष शास्त्र

By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Dec 12, 2023, 4:07 AM IST

ज्योतिष को दक्षिणा देने के बारे में ज्योतिष की राय

रायपुर: ज्योतिष शास्त्र, एक ऐसा विषय है, जिसमें आप किसी व्यक्ति के जीवन के भविष्य को लेकर भविष्यवाणी करने के नियमों और सिध्दांतों का अध्ययन कर सकते हैं. ज्योतिष शास्त्र में इस बात का स्पष्ट उल्लेख मिलता है कि किसी भी ज्योतिषी को बिना किसी अपेक्षा के भविष्यवाणी करना चाहिए. उसको किसी प्रकार का लोभ नहीं होना चाहिए. नहीं तो भविष्यवाणी गलत सिद्ध हो जायेगी. लेकिन जातक का भी कर्तव्य है कि वह अपने ज्योतिषी एवं कर्मकांडी पंडित को यथोचित दक्षिणा दें, उसका सम्मान करें.

क्या कहता है ज्योतिष नियम: ज्योतिष शास्त्र के नियम के अनुसार, किसी व्यक्ति या राजनीतिज्ञों को किसी ज्योतिषी से भविष्य में लाभ होने की संभावना हो तो उसके बिना पूछे कोई भविष्यवाणी नहीं करना चाहिए. ऐसे लोगों की भविष्यवाणी कम से कम 3 बार निवेदन करने पर ही किए जाने का प्रावधान है, नहीं तो भविष्यवाणी गलत साबित हो जायेगी. साथ ही यह भी कही गयी है कि बिना दक्षिणा दिए भविष्यवाणी जानने एवं कर्मकांड कराने से उसका फल प्राप्त नहीं होता. इसलिए ज्योतिषी कितना ही मना करें, लेकिन एक सम्मानजनक राशि ज्योतिषी को देना जातक का कर्तव्य होता है. नहीं तो भविष्यवाणियां भी गलत हो जाती है या कर्मकांड का फल भी नहीं मिल पाता है.

सामर्थ्य के अनुसार जातक दें दक्षिणा: ज्योतिष एवं वास्तुविद डॉ महेंद्र ठाकुर स्वंय से जुड़े एक वाकये के बारे में बताते हैं, "एक जातक के द्वारा दक्षिणा देने पर उसका बरसों का रुका काम पूरा हो गया. उनका कहना है कि वे अनेक लोगों से दक्षिणा नहीं लेते हैं, लेकिन कभी-कभी दक्षिणा लेने के बाद काम होने की प्रेरणा मिलती है, तो वे जातक को इशारा कर देते हैं. यह देखने में आता है कि जातक द्वारा दक्षिणा देने पर उसका रुका हुआ कार्य पूर्ण हो गया. अर्थात ना तो लोभ हो और ना जातक कंजूसी करें. अपनी सामर्थ्य के अनुसार अधिक से अधिक दक्षिणा दें और अपने कर्तव्य का पालन करें. जातक ऋषि ऋण से मुक्त हो."

जातक का हमेशा यह प्रयास होना चाहिए. वह अपने ज्योतिष एवं कर्मकांडी पंडित को यथासंभव प्रसन्न रखें. जिससे उसको ना केवल कर्मकांड का फल मिलेगा, बल्कि भविष्यवाणी भी सही होगी. साथ ही पंडित और ज्योतिष का अंतर्मन से दिया गया आशीर्वाद भी प्राप्त होगा, जिससे उसको जीवन में सफलताएं मिलेंगी और कष्ट कम होंगे.

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