रायपुर: छत्तीसगढ़ में यह पहला मौका होगा जब दोनों ही प्रमुख पार्टियों के प्रदेश अध्यक्ष बस्तर से बने हैं. आदिवासी समाज को आगे लाने के लिए दोनों ही प्रमुख पार्टियों (भाजपा-कांग्रेस) ने समाज के नेताओं को प्रदेश की बड़ी जवाबदारी सौंपी है. पहले बीजेपी ने विक्रम उसेंडी को अध्यक्ष बनाया और अब कांग्रेस ने बस्तर से मोहन मरकाम को प्रदेश अध्यक्ष दिया है. आखिर क्या है आदिवासियों को साधने की वजह और छत्तीसगढ़ के लिए कितना महत्व रखता है आदिवासी समाज आइए जानते हैं.
छत्तीसगढ़ में पार्टी अध्यक्ष बनने में कितना मायने रखता है आदिवासी समाज भाजपा ने पूर्व सांसद विक्रम उसेंडी को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर आदिवासी समाज को साधने की कोशिश की है. वहीं अब कांग्रेस ने भी विधायक मोहन मरकाम को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर दांव खेला है. कहीं न कहीं इस नियुक्ति के पीछे आदिवासी समाज को टारगेट करने का मैसेज दिया गया है.
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ऐसे सदन में पहुंचे मोहन मरकाम
छत्तीसगढ़ में आदिवासी वोट बैंक को साधने के लिए दोनों ही प्रमुख पार्टी अपने को आदिवासी समाज का शुभचिंतक बताने में लगी हैं. मोहन मरकाम प्रदेश कांग्रेस का पुराना चेहरा है. वे कोंडागांव से दूसरी बार विधायक बनकर सदन तक पहुंचे हैं. उन्होंने कैबिनेट मंत्री रही लता उसेंडी को लगातार हराया है.
बीजेपी सरकार में कैबिनेट मंत्री थे विक्रम उसेंडी
बीजेपी को विधानसभा चुनाव में हार देखने को मिली, जिसके बाद उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष को बदलकर पूर्व सांसद विक्रम उसेंडी को पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बना दिया. विक्रम उसेंडी भाजपा के जाने पहचाने चेहरा हैं. वे भाजपा सरकार में कैबिनेट मंत्री भी रह चुके हैं. विधायक और मंत्री होने के बाद वे पार्टी के आदेश से लोकसभा चुनाव लड़कर सांसद भी रहे.
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ये है आदिवासियों को तवज्जों के कारण
आदिवासियों को इतना तवज्जो देने के पीछे के कारणों की हमने पड़ताल की, तो पता चला कि छत्तीसगढ़ में 27 में से 13 जिले संविधान के अनुच्छेद 244 (1) के अनुसार पूरी तरह पांचवीं अनुसूची वाले हैं, जिनमें आदिवासी समाज की बहुलता है. इसके अलावा 6 जिले आंशिक रूप से आदिवासी विकासखंड वाले हैं. 146 विकासखण्डों में 85 विकासखंड ट्राइबल विकासखंड वाले हैं. 42 जाति समूह के 78 लाख आदिवासी निवास कर रहे हैं.
प्रदेश में बड़ी संख्या में हैं आदिवासी
आदिवासी समाज के छत्तीसगढ़ में बहुलता के साथ ही राज्य की राजनीति को भी वे प्रभावित करते हैं. अब दोनों ही पार्टियों ने आदिवासी समाज को सर्वमान्य नेता देने का फैसला किया है. दरअसल छत्तीसगढ़ का एक बड़ा भाग आदिवासी समाज का है. आदिवासी समाज के लिए यह बात सामान्य है कि आदिवासी सरल और सहज होते हैं और यही वजह है कि इनसे तालमेल बैठाने में परेशानी नहीं होगी.