रायपुर: छत्तीसगढ़ में कई हजार करोड़ रुपए चिटफंड कंपनियों ने डकार लिए हैं. प्रदेश के ग्रामीण इलाकों के लोग इसके प्रलोभन में आकर अपनी गाढ़ी कमाई गंवा चुके हैं. पिछले कई सालों से इन कंपनियों में फंसे रकम की वापसी को लेकर गुहार लगा रहे हैं. लेकिन लोगों को पैसे नहीं मिल पा रहे हैं.
चिटफंड कंपनियों में हजारों करोड़ रुपये फंसे
दरअसल कुछ साल पहले छत्तीसगढ़ में चिटफंड कंपनियों की बाढ़ सी आ गई थी. प्रदेश के लगभग हर कस्बे में इनके दफ्तर खोल दिए गए थे. सरकार की आंखों के नीचे राजधानी रायपुर में बड़े-बड़े ऑफिस खुल गए थे. लोगों को एक तरह भरोसा हो गया था कि उनका पैसा कम समय में दुगना हो जाएगा. बस चिटफंड कंपनियों ने इसी तरह सपना दिखाकर लोगों की उस कमाई पर डाका डाला जिसे लोग बच्चों की पढ़ाई, शादी, मकान या फिर बुढ़ापे के सहारे के तौर पर जमा किया था.
कांग्रेस ने चिटफंड में डूबे रकम को वापस दिलाने का किया था वादा
कांग्रेस ने 2018 में अपने चुनावी घोषणा पत्र में चिटफंड कंपनियों में डूबी रकम को वापस दिलाने का वादा किया था. लेकिन ढाई साल बाद सिर्फ एक कंपनी से ही 30 फीसदी ही रकम वापसी हो पाई है. जबकि यहां के 20 लाख से ज्यादा लोगों के सैकड़ों करोड़ की राशि अभी भी ऐसी दर्जनों कंपनियों के पास है जिसका अब कोई अता-पता नहीं है.
अब निवेशकों से सरकार भरवा रही है फॉर्म
सरकार ने अब लोगों से एक फॉर्म भरवाने का फैसला किया है. जिसमें लोगों को अपने निवेश के संबंध में बेसिक जानकारी देनी है. प्रदेश भर में लोग इस फॉर्म को इस उम्मीद से भर रहे हैं कि सरकार उनका डूबा पैसा वापस करा देगी लेकिन जिस फार्म को लोग इतनी शिद्दत से कोरोना की परवाह किए बिना भीड़ में आकर भर रहे हैं उसमें भी कई खामियां हैं. ऐसे में कुछ लोग सरकार की मंशा पर ही सवाल उठाने लगे हैं. ईटीवी भारत की टीम राजधानी स्थित तहसील कार्यालय पहुंची जहां का नजारा कुछ और ही बयां कर रहा था. हाथों में सफेद कागज लिए एक के बाद एक कई लोग तहसील कार्यालय पहुंच रहे थे कुछ जगहों पर लोग फार्म खरीद कर भर रहे थे तो कुछ दुसरो से फार्म भरवा थे. वहीं तहसील कार्यालय में इस फॉर्म को जमा करने काउंटर पर भी लोगों की खासी भीड़ देखी गयी. इस दौरान लोगों के आंखों में सिर्फ एक उम्मीद की किरण दिख रही थी कि जैसे भी हो हमारा फॉर्म जमा हो जाए और सरकार उनकी डूबी रकम वापस कर दे.
बहरहाल हमने चिटफंड कंपनियों से ठगी का शिकार हुए लोगों से बात की और जानने की कोशिश कि कैसे वे इस मकड़जाल में फंस गए. ईटीवी भारत की पड़ताल में कई बातें सामने आई. इस दौरान जो फॉर्म से जुड़ी जानकारी मिली वह इस प्रकार है.
लाखों लोगों की गाढ़ी कमाई चिटफंड में फंसी
इस दौरान ईटीवी भारत की टीम ने यहां पहुंच रहे लोगों से बात की. उनसे जानना चाहा कि,आखिर वह किस तरह से इस झांसे में आए और गाढ़ी कमाई चिटफंड में फंसा दी. एक महिला पुष्पा ने बताया कि उसने अपने बच्चों की शादी के लिए पैसे जमा किए थे. वहीं दिलीप देवांगन ने 15000 रुपये चिटफंड कंपनी में इस उम्मीद के साथ जमा किया था कि उन्हें बाद में अच्छी रकम मिलेगी. लेकिन वह रकम डूब गई. द्रौपदी बघेल ने भी 4 लाख रुपये चिटफंड कंपनियों में निवेश किया. उन्होंने बच्चों की पढ़ाई के लिए यह निवेश किया था. लेकिन उन्हें अब जरूरत के समय पैसा नहीं मिल पा रहा है.
वहीं लक्ष्मी नारायण वर्मा ने भी लगभग 20 हजार रुपये चिटफंड कंपनी में निवेश किए थे जो वर्तमान स्थिति में डूबे हुए हैं. एक और बुजुर्ग के द्वारा भी पैसा जमा किया गया था लेकिन आज उनको यह कहना पड़ रहा है यदि मैं नहीं रहा तो मेरे नाती पोतों को यह पैसा मिल जाए. अनिल तिवारी ने भी 60 हजार रुपये साल 2009 में चिटफंड कंपनी में निवेश किए थे. यह पैसे उन्होंने जमीन खरीदने के लिए जमा किया था. लेकिन अब वह पैसा भी डूबता नजर आ रहा है. इन सभी लोगों का कहना था कि इन्होंने अपने रिश्तेदार और जान-पहचान वालों के कहने पर विभिन्न चिटफंड कंपनियों में राशि जमा की थी. लेकिन बाद में कंपनी भाग गई. और उनकी रकम डूब गई।