रायपुर: छत्तीसगढ़ में एक बार फिर से भ्रष्टाचार पर विपक्ष सरकार को घेर रहा है. मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना और रेडी टू ईट योजना में अनियमितता की शिकायत को लेकर धरना देने वाले महासमुंद के महिला एवं बाल विकास अधिकारी सुधाकर बोदले के अनशन से सरकार बैकफुट पर आ गई है. अफसर की गिरफ्तारी के बाद महिला एवं बाल विकास विभाग ने विभागीय संचालक जनमेजय महोबे की अध्यक्षता में 5 सदस्यीय टीम गठित की है. इस टीम को जांच का जिम्मा सौंपा गया है. जांच से पहले ही महासमुंद में प्रगति महिला स्व सहायता समूह और एकता महिला स्व सहायता समूह के दो पर्यवेक्षक को बर्खास्त कर दिया गया है. महिला समूह के पर्यवेक्षक शशि जायसवाल और दीपमाला तारक पर गाज गिरी है. महिला एवं बाल विकास विभाग की संचालक दिव्या मिश्रा ने इस मामले में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कार्रवाई की बात कही है. उन्होंने बताया कि प्रगति महिला स्व सहायता समूह और एकता महिला स्व सहायता समूह के दो पर्यवेक्षक को बर्खास्त कर दिया गया है. जिन पर्यवेक्षकों पर गाज गिरी है उनमें शशि जायसवाल और दीप माला तारक शामिल हैं.
पांच दिन में मांगी रिपोर्ट
महिला एवं बाल विकास विभाग की सचिव रीना बाबा साहब कंगाले ने इस जांच समिति में विभाग की संयुक्त संचालक क्रिस्टीना लाल, संयुक्त संचालक वित्त भावेश कुमार दुबे, उप संचालक आरजे कुशवाहा और उप संचालक प्रियंका केश को शामिल किया है. इन पांचों लोगों को महासमुंद जिले में मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना और रेडी टू ईट योजना में हुई अनियमितता के आरोपों की जांच करनी है. इस समिति को जांच पूरी कर रिपोर्ट देने के लिए पांच दिनों का समय दिया गया है.
विभागीय मंत्री ने ली जानकारी
महासमुंद में अफसर के अपने घर में अनशन पर बैठ जाने की जानकारी मिलने के बाद सरकार में हड़कंप मच गया. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का कार्यालय भी सक्रिय हो गया. महासमुंद प्रशासन से इस बारे में रिपोर्ट मांगी गई. महिला एवं बाल विकास मंत्री अनिला भेड़िया ने भी अफसरों को तलब कर उन शिकायतों की जानकारी ली. उसके बाद विभाग ने जांच समिति के गठन का आदेश जारी किया.
बिना अनुमति घर पर अनशन करने वाले महिला बाल विकास अधिकारी गिरफ्तार