रायपुर: छत्तीसगढ़ में कोरोना संक्रमण के साथ-साथ अब ब्लैक फंगस के केस भी बढ़ते नजर आ रहे हैं. जानकारी के अनुसार अब तक ब्लैक फंगस के राज्य में 50 मरीज मिल चुके हैं. भिलाई और महासमुंद में ब्लैक फंगस से एक-एक मरीज की मौत भी हो चुकी है. ब्लैक फंगस एक फंगल बीमारी है जो दांत,आंख,नाक, मुंह के द्वारा दिमाग तक फैल सकती है. यदि समय रहते इलाज नहीं मिले तो मरीज की मौत भी हो सकती है. हालांकि यह बीमारी नई नहीं है. पहले भी हर साल में 5 से 6 मरीज इस बीमारी से ग्रसित मिलते थे. लेकिन अब कोरोना से ठीक हो चुके लोगों में यह ज्यादा देखने को मिल रहा है. इसके कई कारण हो सकते हैं. वहीं दांत और मुंह के जरिए ये किस तरह लोगों को नुकसान पहुंचाता है. इस विषय में ईटीवी भारत की टीम ने डेंटिस्ट से खास बातचीत की.
ओरल एंड मैक्सिलोफेशियल सर्जन अभिषेक अग्रवाल ने बताया कि यह फंगस हमेशा हमारे आसपास मौजूद होता है. खासकर बारिश और नमी के सीजन में दीवारों पर फफूंद लग जाती है. यह भी फंगस ही है. जैसे हम ब्रेड के टुकड़े को या आलू को छोड़ देते हैं. कुछ दिनों में उसमें भी फंगस लग जाता है. इससे बचने के लिए हमे साफ-सफाई रखनी पड़ेगी. हमे दांतों की, मुंह की और नाक की सफाई रखनी है. अभी गर्मी में हमे रोज नहाना चाहिए. दिन में दो बार ब्रश करना चाहिए. गर्म पानी में नमक डालकर गरारे करते रहने चाहिए. ताकि बॉडी में मौजूद फंगस कंट्रोल में रहे. उनकी आबादी ना बढ़े.
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डॉक्टर अभिषेक अग्रवाल ने बताया कि ब्लैक फंगस शरीर में सिर्फ चेहरे में नहीं होता, बाकी वह अन्य जगहों पर भी हो सकता है. कई बार वो लंग्स में भी पाया गया है. बच्चों के पेट में भी पाया गया है. स्किन में यदि कही छाला है या कटा हुआ है वहां भी देखने को मिल जाता है. अभी कोरोना के दौर में बहुत ज्यादा एस्ट्रोराइड का यूज कर रहे हैं. हाई ऑक्सीजन ले रहे हैं. जिस वजह से मुंह में जो बैक्टीरिया होते हैं उनकी आबादी बढ़ जाती है. हमारी इम्यूनिटी कम होने के कारण अक्सर बैक्टीरिया मुंह के रास्ते नाक में पहुंच जाता है. फिर वह साइनस का रूप ले लेता है और ऊपर जाते-जाते वह आंखों तक और दिमाग तक पहुंच सकता है. यदि उसे सही समय पर डायग्नोज कर लिया गया तो हम मरीज की जान बचा सकते हैं.