छत्तीसगढ़

chhattisgarh

By

Published : Oct 24, 2020, 6:05 PM IST

ETV Bharat / state

छत्तीसगढ़ की नवदुर्गा: डॉ. ललिता शर्मा जिन्होंने कोरोना संक्रमितों को डर से लड़ना सिखाया

नवरात्र पर ETV भारत आपको उन दुर्गा रूपी शक्ति से रू-ब-रू करा रहा है, जिन्होंने अपनी इच्छाशक्ति और मेहनत से मिसाल पेश की है. रायपुर की कोरोना वॉरियर डॉ. ललिता शर्मा, जिन्होंने होम आइसोलेशन में इलाज करवा रहे मरीजों की काउंसलिंग की और उनका मनोबल टूटने नहीं दिया. देखिये कैसे कोरोना काल में डॉ. ललिता शर्मा ने कोरोना संक्रमितों को डर से लड़ना सिखाया...

corona-warrior-dr-lalita-sharma
छत्तीसगढ़ की नवदुर्गा

रायपुर: शारदीय नवरात्र का आज आठवां दिन है. ETV भारत अपनी खास सीरीज 'छत्तीसगढ़ की नवदुर्गा' में ऐसी महिलाओं से रू-ब-रू करा रहा है, जिन्होंने कोरोना संक्रमण काल के दौरान सराहनीय काम किया है. इसी कड़ी में हमारे साथ जुड़ी हैं, रायपुर की डॉ. ललिता शर्मा जिन्होंने होम आइसोलेशन में इलाज करवा रहे मरीजों की काउंसलिंग की और उनका मनोबल बढ़ाया. देखिये 'छत्तीसगढ़ की नवदुर्गा' में आज डॉ. ललिता शर्मा से खास बात.

छत्तीसगढ़ की नवदुर्गा

डॉ. ललिता शर्मा ने बताया कि चिकित्सक का पर्यायवाची होता है सेवा भाव, कोरोना संक्रमण के दौरान होम आइसोलेशन सेंटर से लोगों की मदद की जा रही है. जिन लोगों की पॉजिटिव रिपोर्ट आती है. उनसे बातचीत कर काउंसिल की जाती है. जिस तरह से मदद चाहिए उनकी वैसी मदद की जाती है.

सवाल: लोगों को समझाने में किस तरह की परेशानियां होती थी?

जवाब: कोरोना का डर तो हमें भी है, इसलिए पूरी तरह सेफ्टी रखते हुए ड्यूटी कर रहे हैं. जनता भी अब समझदार हो गई है. वह अपना पूरा सुरक्षा रख रही है और जब हम यहां से ड्यूटी करके घर जाते हैं तो खुद को सैनिटाइज करते हैं. जिसके बाद ही घर में प्रवेश करते हैं. हमारी कोशिश होती है कि हम अलग कमरे में ही रहें. वहीं इस दौरान बहुत से ऐसे मरीज के फोन आया करते थे जो पैनिक हो जाते थे. उन्हें समझाना पड़ता था. शुरुआत में जब कॉल आते थे तो मरीज कहता था कि हमें कोई लक्षण नहीं है. उसके बाद भी हमारी रिपोर्ट पॉजिटिव आई है. लोग घबरा जाते थे, इस दौरान लोगों की काउंसलिंग कर मदद की गई. कई बार मरीज हम पर ही भड़क जाते थे. लेकिन उस दौरान भी उन्हें अच्छे से समझाया जाता था.

पढ़ें-कोरोना वॉरियर कामिनी साहू ने जगाई शिक्षा की अलख, लाखों बच्चों की संवार रहीं जिंदगी

सवाल: लोगों को समझाना कितना मुश्किल?

जवाब:शुरुआती दौर में लोगों को समझाना बहुत मुश्किल था. मरीज हॉस्पिटलाइजेशन और कोविड-19 सेंटर में अंतर नहीं समझ पाते थे, वहीं ऐसे लोगों को कोविड-19 सेंटर भेजा जाता था, जिनके पास घर में अलग से होम आइसोलेशन की व्यवस्था नहीं थी. लेकिन उस दौरान जब गाड़ी मरीज को लेने जाती थी तो वह पैनिक हो जाते थे. उन्हें लगता था कि सीधा उन्हें अस्पताल में भर्ती कर दिया जाएगा और अस्पताल जाने के बाद वे कभी वापस ही नहीं आएंगे. उस दौरान बड़ी मुश्किल से लोगों को समझा पाते थे. लेकिन धीरे-धीरे लोग समझते गए.

सवाल: आपने पढ़ाई कहां से की, डॉक्टर कैसी बनी?

जवाब:पिताजी एयरफोर्स में रहे और भाई रिटायर्ड कर्नल है. शुरू से ही देश की सेवा करते परिवार को देखा है. मेरे पिताजी की इच्छा थी कि बेटी डॉक्टर बने और मेरी भी इच्छा थी. डॉक्टर शब्द से अलग ही लगाव था, स्कूल की पढ़ाई के बाद डिग्री कॉलेज से बीएससी की पढ़ाई की, उस दौरान प्री-आयुर्वेद और प्री-मेडिकल एक साथ हुआ करता था, मेरा सिलेक्शन बीएएमएस में हो गया. अच्छे शिक्षक, गाइड और परिवार के सहयोग से मैं डॉक्टर बन पाई.

पढ़ें-छत्तीसगढ़ की नवदुर्गा: पूनम अग्रवाल बनीं कोरोना काल में भूखे-प्यासों का सहारा

सवाल: कोविड-19 के दौरान महिलाओं की भूमिका को किस तरह देखती है?

जवाब: महिलाएं घर का और बाहर का सारा काम व्यवस्थित ढंग से कर लेती हैं. समय को मैनेज करते हुए अपना पूरा काम करती. एक तरह अपने परिवार को देखना और दूसरी ओर अपनी नौकरी. देवी की कृपा से हमारे अंदर इतनी उर्जा रहती है कि सारा काम हम पूरा कर लेते हैं. महिलाओं ने कोविड-19 के दौरान भी अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभाई है.

सवाल: महिलाओं को क्या संदेश देना चाहेंगी?

जवाब: बिना शिक्षा के कुछ नहीं हो सकता, इसलिए सभी लड़कियों और महिलाओं को पढ़ना करना चाहिए. महिलाओं में आत्मविश्वास की बहुत जरूरत है. हमारी पहली शिक्षक हमारी मां होती है. सभी माताओं से यहीं निवेदन करूंगी कि अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दें. उन्हें अपने पैर पर खड़े होने दें और आत्मनिर्भर बनाएं.

ABOUT THE AUTHOR

...view details