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सिर्फ लागत पर हाउसिंग बोर्ड बेचेगा मकान, कीमतों में होगी भारी कमी: कुलदीप जुनेजा - सीएम भूपेश बघेल

17 जून को छत्तीसगढ़ में भूपेश सरकार के ढाई साल पूरे हो जाएंगे. छत्तीसगढ़ हाउसिंग बोर्ड Chhattisgarh Housing Board के कई प्रोजेक्ट अभी भी अटके पड़े हैं. इसकी वजह क्या है ? आने वाले समय में हाउसिंग बोर्ड की क्या योजनाएं हैं ? इन तमाम विषयों पर छत्तीसगढ़ हाउसिंग बोर्ड के अध्यक्ष कुलदीप जुनेजा Kuldeep Juneja ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की है.

chairman of Chhattisgarh Housing Board
कुलदीप जुनेजा

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Published : Jun 14, 2021, 6:38 PM IST

रायपुर:छत्तीसगढ़ मेंकांग्रेस सरकार को ढाई साल पूरे होने जा रहे हैं. इन ढाई सालों में विभिन्न विभागों के कई प्रोजेक्ट लटके हुए हैं. उनपर अबतक काम नहीं हो सका है. यदि हाउसिंग बोर्ड Chhattisgarh Housing Board की बात की जाए तो यहां भी कई प्रोजेक्ट अटके पड़े हुए हैं. ढाई सालों में हाउसिंग बोर्ड ने अभी तक कोई भी नया प्रोजेक्ट लॉन्च नहीं किया है. आलम यह है कि हाउसिंग बोर्ड के बनाए गए मकानों और फ्लैट्स को एक खरीदार भी नहीं मिल रहा है. आखिर इसकी वजह क्या है ? आने वाले समय में हाउसिंग बोर्ड की क्या योजनाएं हैं ? क्या नए प्रोजेक्ट हाउसिंग बोर्ड ला सकता है ? किस तरह इन मकानों को बेचने के लिए नई स्कीम पर काम कर सकता है. इन तमाम सवालों पर ईटीवी भारत से छत्तीसगढ़ हाउसिंग बोर्ड के अध्यक्ष कुलदीप जुनेजा ने खास बातचीत की है.

छत्तीसगढ़ हाउसिंग बोर्ड के अध्यक्ष कुलदीप जुनेजा से खास बात

सवाल: हाउसिंग बोर्ड के अध्यक्ष बनने के बाद आपकी क्या प्राथमिकताएं थी ?

जवाब: भाजपा ने 15 साल में जहां-जहां मकान बनाये थे, उन मकानों में भ्रष्टाचार किया गया है. ऐसी जगह मकान बना दिए गए. जहां उसकी आवश्यकता ही नहीं थी. मकान बनाकर आधी अधूरी बिल्डिंग खड़ी कर दी गई. आज भी 1000 करोड़ की प्रॉपर्टी पूरे प्रदेश में पड़ी है. जो बिक नहीं रही है. हमारी कोशिश है कि मकानों को बेचा जाए. उसके लिए इन मकानों के दाम कम किए जाने पर विचार किया जा रहा है. सिर्फ लागत पर मकान बेचने की योजना बना रहे हैं. मकान बेचने के दौरान ब्याज या अन्य किसी तरह का लाभ नहीं लिया जाएगा. आगामी दिनों में होने वाली बोर्ड की बैठक में इस पर निर्णय लिया जाएगा. लोगों को सस्ता मकान मिलेगा ऐसी हमारी प्राथमिकता है.

सवाल: भाजपा के शासनकाल में हाउसिंग बोर्ड के कई ब्रिज प्रोजेक्ट पर काम चल रहा था, लेकिन जब से प्रदेश में कांग्रेस की सरकार आई है, अधिकतर प्रोजेक्ट अटके हुए हैं, उन पर काम नहीं हो रहा है, इसकी क्या वजह मानते हैं ?

जवाब: भाजपा सरकार में जो प्रोजेक्ट चल रहे थे वह बिके कहां हैं, सिर्फ दीवारें खड़ी कर देना प्रोजेक्ट नहीं होता है. सरकार का पैसा लगाकर आधी-अधूरी बिल्डिंग खड़ी कर दो. ऐसे प्रोजेक्ट का क्या मतलब है. यह कोई संस्था नहीं है जो अपना नुकसान करके काम करा दिए. मैंने सबसे पहले यही किया है कि जिस जगह पर भी मकान बनाना है, उसका स्थल निरीक्षण करेंगे. स्थल निरीक्षण के बाद जितनी हमारे पास उसकी डिमांड आएगी, उतने का नए मकान बनाएंगे. हम जबरदस्ती कहीं पर भी बिल्डिंग बना कर खड़ा नहीं कर देंगे.

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सवाल: तो क्या पिछली सरकार ने बिना किसी योजना के इन भवनों को बनाया है ?

जवाब: बीजेपी शासनकाल में सिर्फ बिल्डिंग खड़ी कर दी गई. दरवाजे की लोहे की ग्रिल चोरी हो रहे हैं. भाजपा के लोगों ने इन बिल्डिंग के निर्माण में खुलकर भ्रष्टाचार किया है. हमने कोशिश की है कि इस प्रकार के कामों को रोका जाए. पिछले 2 सालों में कोरोना के कारण बहुत सारे काम लटक गए हैं. बहुत सारे काम रूक गए. हम अभी काम शुरू करने वाले थे कि कोरोना की दूसरी लहर आ गई. उसके कारण हमारे बहुत सारे काम अधूरे रह गए हैं.

'अभी मुख्यमंत्री ने राजीव गांधी आवास योजना की स्वीकृति दी है. अब हमने राजीव गांधी आवास योजना के तहत पूरे प्रदेश में जमीन की मांग की है. हमारा उद्देश्य है कि सरकारी जमीन शहर के अंदर रहे. हम सस्ते में लोगों को मकान बनाकर दें. गरीब और मध्यमवर्गीय लोगों को मकान उपलब्ध कराएंगे. जहां-जहां जमीन मांगी है वहां जमीन मिल रही है. कई जगह पर कलेक्टर चेंज हो गए हैं. उन कलेक्टर्स से चर्चा कर इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाएंगे'.

सवाल: आपने कहा कि भाजपा शासनकाल के बहुत सारे प्रोजेक्ट लंबित पड़े हुए हैं. आप अपना प्रोजेक्ट लाने की बात कर रहे हैं. इससे ऐसा नहीं होगा कि पुराने प्रोजेक्ट लंबित रह जाएंगे और फिर से नया प्रोजेक्ट शुरू हो जाएगा ?

जवाब: सबसे पहले हम पुराने मकानों को बोर्ड की बैठक में लाकर उसके दाम कम करेंगे. दाम इतना करेंगे कि हमारी जितनी लागत है, वह बस निकल आए. उसके अलावा एक रुपये भी बोर्ड को नहीं चाहिए.

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सवाल: हाउसिंग बोर्ड के मकान और प्राइवेट बिल्डर के मकानों के दाम अब लगभग समान हो गए हैं. ऐसे में हाउसिंग बोर्ड के मकान कौन खरीदेगा ?

जवाब:हमने तो पहले ही कहा कि बोर्ड की बैठक में यह प्रस्ताव रखने जा रहे हैं कि हाउसिंग बोर्ड के सभी मकानों के दाम कम किए जाए. रेट में कमी करेंगे तो देखिएगा हमारे बहुत सारे मकान बिक जाएंगे.

सवाल: ऐसा नहीं लगता कि इस काम के लिए आपने काफी देर कर दिया गया, लगभग ढाई साल का समय गुजर चुका है ?

जवाब: ढाई साल में 2 साल कोरोना में निकल गए. उस दौरान सारे दफ्तर बंद थे. अधिकारी घर पर थे, कोई दफ्तर नहीं आता था. इस कारण से सारे सरकारी काम पेंडिंग हो गए, लेकिन अब वापस स्थिति सामान्य हो रही है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने जो काम प्रदेश में किया है, ऐसा काम पूरे देश में किसी स्टेट में नहीं हुआ है. छत्तीसगढ़ में हर वर्ग के लोगों से मुख्यमंत्री ने चर्चा की और हर संभव मदद की. इस कारण आज हम कोरोना की दूसरी में भी बेहतर तरीके खड़े हैं. इसके बाद मुख्यमंत्री ने कोरोना की तीसरी लहर की संभावनाओं को देखते हुए अभी से तैयारी पूरी कर रखी है.

सवाल: हाउसिंग बोर्ड के मकान की क्वालिटी को लेकर हमेशा सवाल उठते रहे हैं. प्राइवेट बिल्डरों के मकान और हाउसिंग बोर्ड के मकानों की क्वालिटी में जमीन आसमान का अंतर होता है ?

जवाब:भाजपा के लोगों को भ्रष्टाचार के अलावा किसी और चीज से कोई मतलब नहीं था. लोगों की परेशानी से उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता. मैंने पहले भी मीटिंग लेकर सभी अधिकारियों को निर्देशित किया है कि वे मकानों की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान दें. मकानों को लेकर सबसे बड़ी शिकायत सीपेज की है. इस सीपेज को दूर करने के लिए सभी अधिकारियों को निर्देशित किया है. उनसे कहा गया है कि मकानों में सीपेज को दूर करने विशेष ध्यान दें. यदि मकानों में सीपेज आती है तो उससे संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.

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सवाल: ऐसा कोई नया प्रोजेक्ट जो आप जल्द लाने की तैयारी में है ?

जवाब: शांति नगर में 1000 करोड़ का प्रोजेक्ट हाउसिंग बोर्ड लाने जा रहा है. जिसकी प्रक्रिया काफी आगे बढ़ चुकी है. इसका टेंडर भी जल्द हो जाएगा. इस प्रोजेक्ट के तहत बनने वाले कांप्लेक्स में नीचे दुकानें रहेंगी और ऊपर लोगों के लिए फ्लैट बनेंगे. इसके अलावा भी तीन-चार जगह पर नए प्रोजेक्ट की तैयारी लगभग पूरी हो गई है. जो आने वाले तीन-चार महीनों में देखने को मिलेगी.

सवाल: देखा जाए तो कोरोना काल में प्राइवेट बिल्डरों की स्थिति भी ठीक नहीं है. उन्होंने अपने मकानों के दाम कम किए हैं. ऐसा नहीं लगता कि आप के मकानों के दाम कम करने के बाद भी कंपटीशन देखने को मिलेगा ?

जवाब: हाउसिंग बोर्ड ओर प्राइवेट बिल्डर में काफी फर्क होता है. प्राइवेट बिल्डर किसी भी जगह पर मकान बना कर खड़े कर देता है. एक मध्यमवर्गीय आदमी, एक नौकरी पेशा वाला आदमी जीवन में एक बार मकान या प्लॉट खरीदता है. प्राइवेट बिल्डर से मकान खरीदने पर कई तरह का डर रहता है, लेकिन हाउसिंग बोर्ड के मकान में ऐसी कोई दिक्कत नहीं होती है. एक बार जिसने मकान या प्लॉट ले लिया, उसे किसी प्रकार की कोई शिकायत नहीं होगी.

सवाल: हाउसिंग बोर्ड की आर्थिक स्थिति कैसी है ?

जवाब: हाउसिंग बोर्ड की स्थिति थोड़ी गड़बड़ जरूर है. इसमें कोई दो मत नहीं है, क्योंकि पैसा कहीं से आ नहीं रहा है. मकान बिक नहीं रहे हैं. पांच करोड़ रुपये महीने की तनख्वा कर्मचारियों को देनी पड़ती है. लेकिन हम बहुत जल्द स्थिति को सुधार लेंगे.

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सवाल: क्या आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए हाउसिंग बोर्ड लोन लेने की योजना बना रहा है ?

जवाब: हमें लोन लेने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी, क्योंकि हम यदि अच्छा प्रोजेक्ट लाएंगे और उसकी लॉन्चिंग करेंगे तो लोग पहले से ही आकर हमारे यहां नंबर लगा लेते हैं. जो रुपये आते हैं, उसी से हम काम को आगे बढ़ाते हैं. हमे लोन लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी.

सवाल: हाउसिंग बोर्ड की ओर से जनता से आप क्या अपील करेंगे ?

जवाब: इसमें कोई दो मत नहीं है. इस बात को स्वीकार करता हूं कि हाउसिंग बोर्ड के मकानों की गुणवत्ता भाजपा के कार्यकाल में खराब रही है. 15 साल में भाजपा के लोगों ने मकान की गुणवत्ता पर ध्यान नहीं दिया, सिर्फ भ्रष्टाचार के ऊपर ध्यान दिया है. आदमी मकान जीवन में एक बार लेता है. हम कोशिश करेंगे कि उन्हें अच्छा मकान दें. किसी तरह की शिकायत का मौका ना मिले, यह हमारी कोशिश होगी.

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