छत्तीसगढ़

chhattisgarh

ETV Bharat / state

गोल्ड मेडल से गोल्डन बुक ऑफ रिकॉर्ड्स तक, इनके लिए महज एक नंबर है उम्र - kishore taare

गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में अपनी जगह बनाने वाले किशोर तारे ने ETV भारत से खास बातचीत की. उन्होंने बताया कि अब तक वे 7,620 विद्यार्थियों को अपने खर्च पर गोल्ड मेडल पहनाकर गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में जगह बनाई है.

interview-of-golden book recorder kishore-tare-in-raipur
किशोर तारे

By

Published : Aug 9, 2020, 6:32 PM IST

रायपुर: 83 साल की उम्र में जोश और पूरी सक्रियता के साथ यदि आपको स्कूल और कॉलेज में मेधावी छात्रों को उनके उत्कृष्ट कार्य करने पर मेडल पहनाते हुए कोई व्यक्ति मिल जाए तो समझ जाइएगा कि वो किशोर तारे हैं. किसी स्कूल या कॉलेज के वार्षिकोत्सव पर यह दृश्य दिखाई देना कोई अजूबा नहीं है, लेकिन किसी एक व्यक्ति द्वारा अपने दम पर यह काम किया जाना वाकई अजूबा है.

इनके लिए महज एक नंबर है उम्र

रायपुर निवासी किशोर तारे पिछले बीस वर्षों से लगातार स्कूल-कॉलेजों में घूम-घूमकर मेधावी छात्रों को अपने खर्चे पर गोल्ड मेडल पहनाकर सम्मानित करते हैं. तारे अपने नाम किशोर को चरितार्थ करते हुए दिल से अपने आप को किशोर बनाए हुए हैं. किशोर तारे 26 मई 2020 तक 7620 विद्यार्थियों को गोल्ड मेडल पहना कर उन्हें सम्मानित किया है. सर्वाधिक बच्चों को गोल्ड मेडल पहनाने पर किशोर को गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में जगह मिली है.

कहानीकार हैं किशोर तारे

किशोर तारे एक कहानीकार भी हैं. बताते हैं, शुरुआती दौर में जब कहानी अखबारों द्वारा प्रकाशित नहीं की जा रही थी, तो तत्कालीन मध्य प्रदेश के एक अखबार ने लगातार सौ दिन तक, प्रतिदिन एक कहानी लिखने की शर्त पर रचनाओं को प्रकाशित किये जाने का प्रस्ताव रखा था, जिसे उन्होंने सहर्ष स्वीकार भी कर लिया था और वे बखूबी इस काम को पूरा किये थे.

अलग-अलग भाषाओं में लिखते हैं तारे

तारे एक ही दिन में दो अलग-अलग भाषाओं में लिखते हैं. साहित्य जगत के इस प्रकांड विद्वान ने विभिन्न भाषाओं में कई मौलिक पुस्तकों की रचना की है. कोई भी लेखक सामान्यतः एक भाषा में ही लिखता है. कभी-कभी कुछ विशेष मेधावी लेखक दो भाषाओं का ज्ञान रखते हुए दो भाषाओं में लेखन कार्य कर लेते है. किशोर तारे अपने असाधारण भाषा ज्ञान का प्रदर्शन करते हुए तीन भाषाओं में मौलिक कहानियों का लेखन करते हैं. हिंदी, अंग्रेजी और मराठी भाषा में वे किताबें लिखते हैं. तारे का 'बुक्स ऑथोर्ड इन मोस्ट लेंग्वेज' के नाम से गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में नाम दर्ज है.

उम्र को मानते हैं महज एक नंबर

किशोर तारे को पद्मश्री के लिए भी नामित किया गया है और उमीद जताई है कि आने वाले समय में शायद लोग उन्हें पद्मश्री किशोर तारे के नाम से जाने. 83 वर्ष की आयु में भी उनका जोश देखने लायक है और उनकी दिली तमन्ना है कि वे लगातार इसी तरह लिखते रहें और मेधावी छात्रों का लगातार मेडल देकर उनका हौसला बढ़ाते रहें. उम्र को सिर्फ एक नंबर मान कर जीने वाले तारे सदा समाजसेवा करते हुए लोगों के लिए प्रेरणा का स्त्रोत बने हुए हैं.

ABOUT THE AUTHOR

...view details