रायपुर: 83 साल की उम्र में जोश और पूरी सक्रियता के साथ यदि आपको स्कूल और कॉलेज में मेधावी छात्रों को उनके उत्कृष्ट कार्य करने पर मेडल पहनाते हुए कोई व्यक्ति मिल जाए तो समझ जाइएगा कि वो किशोर तारे हैं. किसी स्कूल या कॉलेज के वार्षिकोत्सव पर यह दृश्य दिखाई देना कोई अजूबा नहीं है, लेकिन किसी एक व्यक्ति द्वारा अपने दम पर यह काम किया जाना वाकई अजूबा है.
रायपुर निवासी किशोर तारे पिछले बीस वर्षों से लगातार स्कूल-कॉलेजों में घूम-घूमकर मेधावी छात्रों को अपने खर्चे पर गोल्ड मेडल पहनाकर सम्मानित करते हैं. तारे अपने नाम किशोर को चरितार्थ करते हुए दिल से अपने आप को किशोर बनाए हुए हैं. किशोर तारे 26 मई 2020 तक 7620 विद्यार्थियों को गोल्ड मेडल पहना कर उन्हें सम्मानित किया है. सर्वाधिक बच्चों को गोल्ड मेडल पहनाने पर किशोर को गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में जगह मिली है.
कहानीकार हैं किशोर तारे
किशोर तारे एक कहानीकार भी हैं. बताते हैं, शुरुआती दौर में जब कहानी अखबारों द्वारा प्रकाशित नहीं की जा रही थी, तो तत्कालीन मध्य प्रदेश के एक अखबार ने लगातार सौ दिन तक, प्रतिदिन एक कहानी लिखने की शर्त पर रचनाओं को प्रकाशित किये जाने का प्रस्ताव रखा था, जिसे उन्होंने सहर्ष स्वीकार भी कर लिया था और वे बखूबी इस काम को पूरा किये थे.