रायपुर: राजधानी में भारतीय इतिहास संकलन समिति छत्तीसगढ़ और भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद नई दिल्ली के द्वारा संयुक्त रुप से आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में आयोजित 3 दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन 6 से 8 अगस्त तक किया गया. "स्व का संघर्ष" विषय स्वाधीनता आंदोलन के विशेष संदर्भ में इस अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन (International seminar organized on Amrit Mahotsav of Independence concludes in raipur) किया गया था. इस अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी के कार्यक्रम में दिल्ली से मुख्य अतिथि के रूप में डॉ बालमुकुंद पांडे संगठन सचिव अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना शामिल हुए थे.
3 दिनों के अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी में 10 सत्र का हुआ आयोजन:राजधानी के कोटा स्थित क्लब पेरेसो मारुति लाइफ़स्टाइल में 3 दिनों का अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन 6 अगस्त से 8 अगस्त तक किया गया. जिसमें राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय स्तर के विद्वान, प्रोफेसर, इतिहासकार, साहित्यकार तथा लगभग 300 शोधार्थी छात्र छात्राओं की उपस्थिति रही. 3 दिन के आयोजित 10 सत्र के दौरान अपने शोध पत्रों का वाचन किया गया. 3 दिनों के इस आयोजन सत्र में सांस्कृतिक कार्यक्रम के दौरान पद्म श्री तीजन बाई की पंडवानी, मांदरी नृत्य, मड़ई नाचा का आयोजन भी किया गया था. उदघाटन सत्र के दौरान स्वस्तिवाचन, मंगलाष्टक, माँ सरस्वती का पूजन और भजन का आयोजन पण्डित अमन अमित शुक्ला के द्वारा किया गया.
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आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का हुआ समापन
राजधानी रायपुर में आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में आयोजित 3 दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन 6 से 8 अगस्त तक (International seminar organized on Amrit Mahotsav of Independence concludes in raipur) किया गया. जिसमें राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय स्तर के विद्वान, प्रोफेसर, इतिहासकार, साहित्यकार तथा लगभग 300 शोधार्थी छात्र छात्राओं की उपस्थिति रही.
भारत के स्वाधीनता आंदोलन में विभिन्न वर्गों की भूमिका पर हुई चर्चा:स्वाधीनता आन्दोलन में जनजातियों की भूमिका, स्वाधीनता आन्दोलन में महिलाओं की भूमिका, स्वाधीनता आन्दोलन में कृषक समाज की भूमिका, स्वाधीनता आन्दोलन में मठों एवं मन्दिरों की भूमिका, स्वाधीनता आन्दोलन में साहित्य, पत्र-पत्रिका एवं पत्रकार की भूमिका, स्वाधीनता आन्दोलन में आध्यात्मिक गुरुओं की भूमिका, स्वाधीनता आन्दोलन में रियासतों एवं जमींदारियों की भूमिका, स्वाधीनता आन्दोलन से सम्बन्धित प्रमुख पुरास्थल, ज्ञात, अल्पज्ञात औऱ अज्ञात स्वतन्त्रता सेनानियों के विषय में विस्तार से चर्चा की गई.