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EXCLUSIVE: डायबिटीज के मरीजों के लिए ब्रह्मास्त्र है ये पौधा, बस्तर में भी हो रही खेती

बस्तर के मां दंतेश्वरी हर्बल समूह के संचालक राजाराम त्रिपाठी ने 'इंसुलिन प्लांट' की खेती करना शुरू किया है. उन्होंने 10 हजार से ज्यादा इंसुलिन प्लांट अपने फॉर्म में तैयार कर लिए हैं और इसके साथ ही देश की बड़ी दवा निर्माता कंपनी के साथ टाइअप कर लिया है. आइए जानते हैं इस इंसुलिन प्लांट के बारे में.

डायबिटीज के मरीजों के लिए ब्रह्मास्त्र है ये पौधा

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Published : Nov 13, 2019, 6:19 PM IST

Updated : Nov 13, 2019, 6:27 PM IST

रायपुर: आज दुनियाभर में डायबिटीज एक बड़ी बीमारी के रूप में उभर कर सामने आई है. ज्यादातर अव्यवस्थित दिनचर्या और खानपान की वजह से इस बीमारी ने बड़े पैमाने पर लोगों को अपनी गिरफ्त में ले लिया है. डायबिटीज को कंट्रोल करने की दिशा में कई तरह के शोध कार्य दुनियाभर में चल रहे हैं.

डायबिटीज के मरीजों के लिए ब्रह्मास्त्र है ये पौधा

इसी कड़ी में जापान की टोक्यो यूनिवर्सिटी ने अपनी रिसर्च में पाया कि एक पौधा डायबिटीज के इलाज में बेहद कारगर साबित हो सकता है. इस औषधीय पौधे को बोलचाल की भाषा में 'इंसुलिन प्लांट' भी कहा जाने लगा है.

डायबिटिज में शरीर में इंसुलिन बनना कम हो जाता है. अक्सर इसके मरीजों को इंसुलिन के इंजेक्शन लगाने की भी जरुरत पड़ती है. टोक्यो यूनिवर्सिटी ने रिसर्च में पाया है कि इस पौधे की पत्तियां का एक्सट्रेक्ट ब्लड ग्लूकोज़ लेवल को कम करने में कारगर है.

छत्तीसगढ़ में भी 'इंसुलिन प्लांट' की खेती
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चल रहे इस रिसर्च पर नजर रखने वाले बस्तर के मां दंतेश्वरी हर्बल समूह के संचालक राजाराम त्रिपाठी ने भी इस पौधे को तैयार करने और उसके संवर्धन की दिशा में काम शुरू किया है. उन्होंने 10 हजार से ज्यादा इंसुलिन प्लांट अपने फॉर्म में तैयार कर लिए हैं और इसके साथ ही देश की बड़ी दवा निर्माता कंपनी के साथ टाइअप कर लिया है.

राजाराम त्रिपाठी ने ETV भारत को बताया कि मधुमेह जैसी महामारी से बचने की दिशा में ये पौधा ब्रह्मास्त्र के रूप में काम आ सकता है. उन्होंने बताया कि, इस पौधे की पत्तियों को चबाकर खाया जा सकता है. साथ ही इसे सूखाकर पाउडर के तौर पर भी इसका सेवन किया जा सकता है.

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'केमीकोस्टस कस्पीडटेस' है बॉटनिकल नाम
इस अध्ययन के बाद भारत में इस पौधे को तैयार करने की दिशा में काम किया गया है. इस पौधे का बॉटनिकल नाम 'केमीकोस्टस कस्पीडटेस' है. हिमाचल प्रदेश में इस तरह के 250 पौधे तैयार भी किए गए हैं.
इस पौधे पर अभी भी अलग-अलग शोध किए जा रहे हैं. इसलिए इसके सेवन से पहले एक बार डॉक्टर से जरुर सलाह लें.

Last Updated : Nov 13, 2019, 6:27 PM IST

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