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मिसाल: इनके भजन सुनकर सोते थे लोकनायक जेपी, छठ पर पहली किताब लिखने वाली पहली लेखिका !

बिहार की रहने वाली शांति जैन लोकगीत और लोक साहित्य क्षेत्र में पिछले कई वर्षों से काम कर रही हैं. शांति को छठ महापर्व पर किताब लिखने वाली पहली महिला लेखिका माना जाता है. इस महिला दिवस पर जानिए पद्मश्री शांति जैन की जीवनगाथा.

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Published : Mar 6, 2020, 12:05 AM IST

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बिहार की रहने वाली शांति जैन की कहानी

पटना: कला के क्षेत्र में योगदान के लिए बिहार की शांति जैन को भारत सरकार ने पद्म पुरस्कार के लिए चुना है. शांति लोकगीत और लोक साहित्य क्षेत्र में पिछले कई वर्षों से काम कर रही हैं. शांति जैन को छठ महापर्व पर किताब लिखने वाली पहली महिला लेखिका माना जाता है. यही नहीं कहते तो ये भी हैं कि अपने आखिरी दिन में लोकनायक जयप्रकाश नारायण इन्हीं के भजन सुनकर सोते थे इनके भजन सुने बिना उन्हें नींद नहीं आती थी.

छठ पर पहली किताब लिखने वाली लेखिका शांति जैन

लोक साहित्य और लोक संगीत के क्षेत्र में शांति जैन का अनुपम योगदान है. उन्होंने कविताओं पर ज्यादा काम किया. कविता पर उनकी 12 किताबें पब्लिश हैं. लोक साहित्य पर उनकी 14 किताबें पब्लिश हुई हैं. वे कहती हैं कि उन्हें जितने पुरस्कार मिले वे लोक संगीत और लोक साहित्य पर मिले हैं. शांति कहती हैं कि सम्मान मिलने से उत्साह बढ़ता है और आगे बेहतर करने की ऊर्जा मिलती है.

6 साल की उम्र से शुरू किया लिखना

शांति बताती हैं कि जब वे 6 साल की थी, तब फिल्मों के गानों पर धुनों पर अपने शब्द जमाने लगीं, कविता लिखना उन्हें तब से ही आया. वे कहती हैं जब वे करीब 9 साल की थी, तब उनकी पहली कहानी सूरत से निकलने वाली प्रत्रिका में प्रकाशित हुईं. 1977 से उनकी किताबें छपनी लगीं. पहली किताब उनकी कविता की थी. उनके गीत आकाशवाणी से अप्रूव्ड हैं और स्टेशन पर बजाए जाते हैं.

पहली पुस्तक के लिए मिला राजभाषा पुरस्कार

शांति जैन बताती हैं कि पहली पुस्तक के लिए उन्हें लखनऊ संगीत नाटक अकादमी से चैती पर किताब लिखने को कहा गया. वे कहती हैं कि चैती पर कहीं मैटेरियल नहीं मिलता था लेकिन उन्हें 150 पन्नों की किताब लिखनी थी. इस किताब पर उन्हें राजभाषा पुरस्कार मिला. शांति कहती है इसके बाद ही उनके दिल में लोकभाषा पर लिखने की रुचि जग गई.

लिखने में व्यस्त रहती हैं शांति

शांति जैन एचडी जैन कॉलेज आरा से संस्कृत की विभागाध्यक्ष के पद से अवकाश प्राप्त हैं और इन दिनों साहित्य की पुस्तक लिखने में व्यस्त रहती हैं. वे कहती हैं कि सम्मान और पुरस्कार वक्त पर मिल जाने चाहिए इससे ऊर्जा और उत्साह बढ़ता है.

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