पटना: कला के क्षेत्र में योगदान के लिए बिहार की शांति जैन को भारत सरकार ने पद्म पुरस्कार के लिए चुना है. शांति लोकगीत और लोक साहित्य क्षेत्र में पिछले कई वर्षों से काम कर रही हैं. शांति जैन को छठ महापर्व पर किताब लिखने वाली पहली महिला लेखिका माना जाता है. यही नहीं कहते तो ये भी हैं कि अपने आखिरी दिन में लोकनायक जयप्रकाश नारायण इन्हीं के भजन सुनकर सोते थे इनके भजन सुने बिना उन्हें नींद नहीं आती थी.
लोक साहित्य और लोक संगीत के क्षेत्र में शांति जैन का अनुपम योगदान है. उन्होंने कविताओं पर ज्यादा काम किया. कविता पर उनकी 12 किताबें पब्लिश हैं. लोक साहित्य पर उनकी 14 किताबें पब्लिश हुई हैं. वे कहती हैं कि उन्हें जितने पुरस्कार मिले वे लोक संगीत और लोक साहित्य पर मिले हैं. शांति कहती हैं कि सम्मान मिलने से उत्साह बढ़ता है और आगे बेहतर करने की ऊर्जा मिलती है.
6 साल की उम्र से शुरू किया लिखना
शांति बताती हैं कि जब वे 6 साल की थी, तब फिल्मों के गानों पर धुनों पर अपने शब्द जमाने लगीं, कविता लिखना उन्हें तब से ही आया. वे कहती हैं जब वे करीब 9 साल की थी, तब उनकी पहली कहानी सूरत से निकलने वाली प्रत्रिका में प्रकाशित हुईं. 1977 से उनकी किताबें छपनी लगीं. पहली किताब उनकी कविता की थी. उनके गीत आकाशवाणी से अप्रूव्ड हैं और स्टेशन पर बजाए जाते हैं.