रायपुर:राह भले ही मुश्किल हो, हिम्मत से तुम काम लेना, एक दिन यह दुनिया चाहेगी, अपने साथ तुम्हारा नाम लेना... शायरी की ये पंक्तियां रायपुर के उन बच्चों पर सटीक बैठती है, जो बच्चे कभी नशे की गिरफ्त में थे, जो कभी अपराध की दुनिया में कदम रखने की ठान चुके थे. इन बच्चों के करियर को संवारने का जिम्मा रायपुर पुलिस ने उठाया है.
रायपुर पुलिस के चार जवानों ने एक श्रीप्रयास नाम की संस्था की शुरुआत की. इस संस्था में घुमंतू बच्चे, अपराध की दुनिया में कदम रख चुके बच्चे और नशे की गिरफ्त में शामिल बच्चों को पढ़ाया जाता (drug addict children in Raipur) है. उनके करियर को संवारने का काम किया जाता है. महज 4 बच्चों से शुरू हुई इस संस्था में 700 से अधिक बच्चे जुड़ चुके हैं. बच्चों को पुलिस और सेना में भर्ती के लिए ट्रेनिंग दी जा रही है. इसके अलावा प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए भी बच्चों को तैयार किया जा रहा है.
बच्चों में देश सेवा का भरा जा रहा जोश
श्रीप्रयास संस्था में पढ़ने वाले अधिकांश बच्चे गरीब हैं. वे पहले गलियों में घूम-घूम कर कचरा उठाने का काम किया करते थे. इसी दौरान नशे की गिरफ्त में भी आ चुके थे. इतना ही नहीं इन बच्चों में से कई बच्चे अपराध की दुनिया से भी जुड़ने लगे थे. लेकिन इन पर नजर पड़ी छत्तीसगढ़ पुलिस के चार सिपाहियों की. उन्होंने ऐसे बच्चों को शिक्षा देने का बीड़ा उठाया ताकि देश के भविष्य इन बच्चों का करियर संवर सके. यहां इन बच्चों को उचित शारीरिक ट्रेनिंग भी दी जा रही है ताकि भविष्य में यह बच्चे देश सेवा के लिए पुलिस और सेना में शामिल हो सकें. इनकी मेहनत भी रंग लाने लगी है. शुरुआती दौर में इन चारों दोस्तों को बेहद कठिनाइयों का सामना करना पड़ा. लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और इस काम की शुरूआत महज 4 बच्चों से हुई. इन्हीं चार बच्चों का उदाहरण देते हुए उन्होंने शहर के अलग-अलग हिस्सों में घूमने वाले घुमंतू बच्चों को भी अपने साथ में लिया और उनकी रुचि के अनुसार उन्हें ट्रेनिंग दी.
श्रीप्रयास संस्था से बच्चों का लक्ष्य हो रहा निर्धारित
श्री प्रयास संस्था की छात्रा आरती पाल बताती हैं कि वे यहां पिछले तीन साल से आ रही हैं. यहां सभी बच्चों को निःशुल्क कम्प्यूटर, इंग्लिश सहित अन्य विषयों का पाठ पढ़ाया जाता है. इसके साथ ही यूपीएससी, पीएससी के अलावा पुलिस भर्ती और सेना में जाने के लिए प्रशिक्षण दिया जाता है. श्रीप्रयास संस्था में रंगोली, आर्ट एंड क्राफ्टिंग के साथ खेल का भी प्रशिक्षण ट्रेनरों को दिया जाता है. आरती कहती हैं कि पहले मेरा लक्ष्य निर्धारित नहीं था लेकिन प्रयास में आने के बाद मेरा लक्ष्य निर्धारित है. मैं आईपीएस अफसर बनना चाहती हूं. इसके लिए रोजाना हमारे क्लासेस लगते हैं. हर रोज सुबह-शाम शरीर को फिट रखने के लिए हम लोगों को इसी तरह से प्रशिक्षण दिया जाता है.
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700 से अधिक बच्चे संजो रहे बेहतर जीवन का लक्ष्य