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एकजुट हुआ आदिवासी समाज, 13 सूत्री मांगों के समर्थन में जगह-जगह जाम कर जताया विरोध - raipur news

सर्व आदिवासी समाज ने अपनी 13 सूत्री मांगों के समर्थन में प्रदेश में जगह-जगह नेशनल हाईवे पर नाकेबंदी कर अपना विरोध जताया. इस दौरान यात्री वाहन और आवश्यक सेवाओं को जाम से मुक्त रखा गया था.

In support of the 13-point demands, protested by jamming at places
13 सूत्री मांगों के समर्थन में जगह-जगह जाम कर जताया विरोध

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Published : Aug 30, 2021, 6:44 PM IST

रायपुर :सर्व आदिवासी समाज ने अपनी 13 सूत्री मांगों के समर्थन में राजनांदगांवमें सोमवार को नागपुर-रायपुर नेशनल हाईवे पर चिचोला में सड़क जाम किया. इस दौरान समाज के करीब 1200 से अधिक लोग जाम में शामिल हुए. जाम के कारण एनएच पर वाहनों की लंबी कतारें लग गई थीं. जाम में समाज के जिलाध्यक्ष जसवंत घावड़े, उदय नेताम, श्यामदास मंडावी, एवन आचले, मदन नेताम, पवन चन्द्रवंशी, सुरेन्द्र मंडावी, देशराम कोर्राम, सुरेश रावटे, नरेन्द्र मंडावी और शोभित चन्द्रवंशी आदि जिले के आदिवासी समाज प्रमुख, वरिष्ठ जनों, युवा-युवतियों और मजदूर एवं किसानों के साथ शामिल हुए. इधर, कांकेर जिले मेंनेशनल हाइवे 30 कुलगांव और चारामा के पास से सर्व आदिवासी समाज ने अपने प्रदेश स्तरीय आर्थिक नाकेबंदी की शुरुआत की थी. चारामा में आदिवासियों के जमा होने की वजह से मालगाड़ियों के साथ सड़क की आवाजाही भी थम गई थी. वहीं बिलासपुरमें भी इस नाकेबंदी में बड़ी संख्या में आदिवासी समाज के लोग शामिल हुए. जबकि बालोदमें भी अपनी मांगों को लेकर आदिवासी समाज ने नाकेबंदी की थी.

यात्री वाहन और आवश्यक सेवाओं को रखा था जाम से मुक्त

आदिवासियों के प्रदर्शन के दौरान कोई अप्रिय घटना न हो, इस कारण बड़ी संख्या में मौके पर पुलिस बल मौजूद रहा. जबकि समाज ने आंदोलन के दौरान यात्री वाहन और आवश्यक सेवाएं को जाम से मुक्त रखा. बता दें कि पिछले कई दिनों से आंदोलन करने और ज्ञापन सौंपने के बावजूद मांगें पूरी नहीं होने से नाराज सर्व आदिवासी समाज ने यह उग्र कदम उठाया है. 13 सूत्री मांगों को लेकर सर्व आदिवासी समाज के लोगों ने अनिश्चितकालीन आर्थिक नाकेबंदी कर दी है.

ये हैं आदिवासी समाज की मुख्य मांगें

  • सुकमा के सिलगेर के मृतकों के परिजन को 50 लाख और घायलों को 5 लाख तथा परिवार के एक सदस्य को योग्यतानुसार शासकीय नौकरी.
  • बस्तर संभाग की नक्सल समस्या पर स्थायी समाधान के लिए सभी पक्षों से समन्वय स्थापित कर स्थायी समाधान और राज्य सरकार द्वारा शीघ्र पहल.
  • पदोन्नति में आरक्षण के संबंध में जब तक माननीय उच्च न्यायालय के स्थगन समाप्त नहीं हो जाता, तब तक अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित पदोन्नत रिक्त पदों को नहीं भरा जाना.
  • शासकीय नौकरी में बैकलॉग और नई भर्तियों पर आरक्षण रोस्टर लागू किया जाना.
  • पांचवीं अनुसूची क्षेत्र में तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के पदों पर भर्ती में मूलनिवासियों को शत-प्रतिशत आरक्षण.
  • संभाग एवं जिलास्तर पर भर्ती और प्रदेश में खनिज उत्खनन के लिए जमीन अधिग्रहण की जगह लीज पर लेकर जमीन मालिक को शेयर होल्डर बनाना.
  • गांव की सामुदायिक गौन खनिज का उत्खन्न एवं निकासी का पूरा अधिकार ग्राम सभा को दिया जाना.
  • ग्राम सभा द्वारा स्थानीय आदिवासी समिति के माध्यम से बेरोजगार युवाओं को खनिज पट्टा दिया जाना और फर्जी जाति मामले में दोषियों पर कार्रवाई.
  • छत्तीसगढ़ राज्य के 18 जनजातियों की मात्रात्मक त्रुटि में सुधार कर उन्हें जाति प्रमाण पत्र जारी किया जाना.
  • अनुसूची में उल्लेखित जनजातियों का जाति प्रमाण-पत्र जारी नहीं करने वाले संबंधित अधिकारी पर दंडात्मक कार्रवाई.
  • छात्रवृत्ति योजना में आदिवासी विद्यार्थियों के लिए आय की 2.50 लाख की पात्रता सीमा समाप्त की जाए.
  • आदिवासी समाज की लड़कियों से अन्य गैर आदिवासी व्यक्ति से शादी होने पर उक्त महिला को जनजाति समुदाय के नाम से जारी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर जनप्रतिधिनित्व, शासकीय सेवा तथा जनजाति समुदाय की जमीन खरीदी पर रोक लगाने के लिए संबंधित अधिनियमों में आवश्यक संशोधन.
  • वन अधिकार कानून 2006 का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित कराना और पेसा कानून के क्रियान्वयन नियम तत्काल बनाकर अनुपालन सुनिश्चित कराया जाना. अनुसूचित क्षेत्रों में ग्राम पंचायतों को विखंडित कर दोबारा से ग्राम पंचायत में परिवर्तित किया जाना.

13 बिंदुओं पर राज्य सरकार गंभीरतापूर्वक विचार कर 15 दिनों में निर्णय कर समाज को उचित तरीके से सूचित किया जाना.

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