रायपुर: छत्तीसगढ़ में खरीफ सीजन के लिए खेती-किसानी का काम शुरू हो चुका है. सरकार की ओर से किसानों को सहकारी समितियों के माध्यम से खाद, बीज और लोन की सुविधा दी जाती है. कोरोना संकट के इस दौर में किसान बीते वर्षों की तुलना में दोगुने तेजी के साथ खेती-किसानी के लिए सामने आए हैं. सहकारी समितियों में किसानों के ऋण लेने के आंकड़ों में बढ़ोतरी हुई है. बीते सालों के 3 महीने के ऋण का आंकड़ा इस साल जून में ही पूरा हो गया है. ऐसे में आने वाले समय में खेती किसानी में 3 गुना ज्यादा किसानों के शामिल होने का अंदेशा लगाया जा रहा है.
कोरोना वायरस के चलते रोजी मजदूरी के लिए प्रदेश से बाहर गए किसान और मजदूर भी अपने घर लौट आए हैं. जो अब खेती किसानी के काम में बड़े पैमाने पर लग गए हैं. किसानों को खरीफ फसल के लिए सरकार सहकारी समितियों के माध्यम से ऋण उपलब्ध कराती है. प्रदेशभर के ज्यादातर किसान सहकारी समितियों के माध्यम से ऋण लेकर खेती करते हैं. सरकारी बैंकों में जब ETV भारत ने इन विषयों पर पड़ताल की तो ये बात सामने आई कि, सरकार की ओर से दिए जा रहे समर्थन मूल्य की वजह से भी खेती किसानी की तरफ लोगों का रूझान बढ़ा है.
किसानों का कहना है कि वे समितियों के माध्यम से खाद बीज उर्वरक और खेती किसानी के लिए ऋण लेकर खेती किसानी के काम में जुट गए हैं. समिति प्रबंधकों का भी कहना है कि खेती किसानी के लिए आमतौर पर जून के अंतिम सप्ताह के बाद ही किसानों का जमावड़ा होता रहा है, लेकिन इस बार जून बीतने के पहले ही किसानों की आवाजाही बड़े पैमाने पर शुरू हो गई थी. यहीं वजह है कि तमाम समितियों में किसानों ने बड़ी संख्या में खाद बीज और उर्वरक लिए हैं. साथ ही नकद ऋण के लिए भी किसान बड़ी संख्या में समितियों तक पहुंचे हैं.