रायपुर: शुक्रवार 8 नंवबर को चतुर्मास काल के बाद कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी मनाई जाएगी. इस एकादशी को छोटी दीवाली के रूप में भी मनाया जाता है. मान्यता है कि कार्तिक शुक्ल एकादशी को भगवान शालीग्राम और माता तुलसी का विवाह संपन्न हुआ था. लिहाजा भक्त इस दिन घर में रखी तुलसी का विवाह करते हैं, इस पूजा में गन्ना का उपयोग आवश्यक होता है.
एकादशी विशेषः तुलसी पूजा में गन्ने का होता है खास महत्व - देव उठनी
एकादशी पर गन्ना पूजा का बड़ा महत्व है. एकादशी के दिन तुलसी पूजा के समय महिलाएं गन्ने से मंडप को सजाती हैं और गनकरन को बांधकर गोल घेरा बना देती हैं. जिसके ऊपर चुनरी रख तुलसी माता की पूजा की जाती है. सनातन धर्म के मुताबिक जो किसान गन्ने की फसल उगाते हैं, वह पहले गन्ने की पूजा करते हैं, इसके बाद ही गन्ने की फसल को काटते हैं.
गन्ने का होता है बड़ा महत्व
इस दिन गन्ना पूजा का बड़ा महत्व है. एकादशी के दिन तुलसी पूजा के समय महिलाएं गन्ने से मंडप को सजाती हैं और गनकरन को बांधकर गोल घेरा बना देती हैं. जिसके ऊपर चुनरी रख तुलसी माता की पूजा की जाती है. सनातन धर्म के मुताबिक जो किसान गन्ने की फसल उगाते हैं, वह पहले गन्ने की पूजा करते हैं, इसके बाद ही गन्ने की फसल को काटते हैं.
देवउठनी एकादशी से पहले गन्ने के पौधे को हाथ नहीं लगाया जाता है. इसके अलावा एकादशी से ही नए गुड़ का भी सेवन किया जाता है.